NEWSPR/DESK : 2 दिन पहले ही निजी स्कूलों द्वारा बढ़ी हुई ट्यूशन फीस में रोक लगाने के लिए आदेश जारी किया गया था। इसे सोमवार को ही वापस ले लिया गया। सोमवार को पूरे दिन जिला कंट्रोल रूम में अभिभावको ने कॉल किया और अपनी शिकायत दर्ज कराई। शिकायतों से जुड़ी करीब 57 कॉल आईं। सभी शिकायतों में रजिस्टर में दर्ज किया गया। उपायुक्त ने ये आदेश जारी किया था।
बैठक हुई स्कूल प्रबंधकों के साथ
डीसी छवि रंजन ने जारी आदेश को वापस ले लिया। सोमवार को विभिन्न स्कूलों के प्राचार्यो के साथ हुई बैठक के बाद डीसी ने आदेश वापस ले लिया। प्राचार्य ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा विगत वर्ष शुल्क से संबंधित निर्देश के आलोक में नए आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। प्राचार्यों ने कहा कि मौजूदा सत्र 2021-22 के लिए विभाग से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। इस पर डीसी छवि रंजन ने कहा कि विभाग से मार्गदर्शन प्राप्त होने पर स्पष्ट निर्देश जारी किया जाएगा। उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारी को विभाग से शीघ्र मार्गदर्शन प्राप्त करने का निर्देश दिया। प्राचार्यों ने कोरोना काल में स्कूल चलने में आ रही परेशानियों की जानकारी दी।
दिक्कत होने पर अभिभावक आवेदन दें
उपायुक्त ने प्राचार्यों से कहा कि किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई शुल्क जमा नहीं करने के कारण बाधित नहीं होनी चाहिए। इस पर प्राचार्यों ने कहा कि ऐसे अभिभावक जिनका रोजगार कोरोना काल के दौरान प्रभावित हुआ है वो आवेदन दें। स्कूल प्रबंधन यथासंभव सहयोग करेगा। निजी स्कूलों के संगठन झारखंड अनएडेड प्राइवेज स्कूल एसोसिएशन की बैठक में उपायुक्त के आदेश का विरोध किया गया था। निजी स्कूल प्रबंधक व प्राचार्य ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर सरकार हस्तक्षेप नहीं करती है तो 1 सप्ताह के बाद स्कूल बंद कर दिया जाएगा। यह निर्णय सोमवार को एसोसिएशन की हुई वर्चुअल बैठक में लिया गया। विधायक सह ऑक्सफोर्ड स्कूल के निर्देशक एसबीपी मेहता ने कहा कि अभिभावक मंच के दुष्प्रचार मे आकर उपायुक्त ने आदेश निकाला जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
सैनिटाइजेशन का भी चार्ज जोड़ा जा रहा
कंट्रोल रूम में फीस बढ़ोतरी के अलावा एक और नई शिकायत दर्ज कराई गई है। अभिभावकों ने बताया कि जब स्कूल में जाकर फीस जमा कर रहे हैं तो स्कूल की ओर से सैनिटाइजेशन चार्ज के नाम पर 150 मांगे गए हैं। वहीं फ़ीस नहीं देने पर ऑनलाइन क्लास का लिंक भी बच्चों को नहीं भेजा जा रहा है। इससे बच्चे क्लास से वंचित रह रहे हैं। ऑनलाइन क्लासेस का लिंक नहीं भेजने की शिकायत करने वालों में नौवीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों के अभिभावक शामिल हैं।