बिहार की सुप्रसिद्ध लोकगायिका स्व. शारदा सिन्हा को मरणोपरांत देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। यह सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिल्ली में आयोजित एक समारोह में उनकी स्मृति में उनके बेटे अंशुमान सिन्हा को सौंपा गया।सम्मान ग्रहण करते हुए अंशुमान ने भावुक होकर कहा कि अगर उनकी मां आज जीवित होतीं, तो इस सम्मान का महत्व और भी बढ़ जाता। उन्होंने यह भी कहा कि शारदा सिन्हा को जनता का प्यार और सम्मान पहले ही मिल चुका था, और अब सरकार ने भी उनकी चार दशकों की कला साधना को मान्यता दी है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में उन्हें भारत रत्न से भी नवाजा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने अपने गीतों से बिहार को राष्ट्रीय पहचान दिलाई।राज्य में स्मारक की मांगअंशुमान ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि शारदा सिन्हा की स्मृति में बिहार में कोई स्मारक या स्थल स्थापित किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी सड़क, घाट या सांस्कृतिक स्थल को उनकी मां के नाम पर रखा जा सकता है।पुरस्कार की घोषणा से मिली ऊर्जाअंशुमान ने बताया कि जब पद्मविभूषण की घोषणा हुई थी, उस समय उनकी मां की तबीयत ठीक नहीं थी। लेकिन जैसे ही उन्हें इस सम्मान की जानकारी मिली, उनमें एक नई ऊर्जा आ गई थी। उन्होंने सरकार की सराहना करते हुए कहा कि पद्म पुरस्कारों के जरिए देशभर के अनसंग हीरोज को सम्मानित किया जा रहा है, जो निःसंदेह सराहनीय पहल है।