राजगीर (नालंदा): ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक विस्तार की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सचिन चतुर्वेदी ने घोषणा की है कि अब अर्थशास्त्र, हिंदी, गणित और दर्शनशास्त्र जैसे विषयों में भी स्नातकोत्तर (PG) पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में पीजी प्रोग्राम्स की कुल संख्या बढ़कर 12 हो गई है।
डॉ. चतुर्वेदी, जो विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (RIS) के महानिदेशक भी हैं, हाल ही में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है। उन्होंने कहा,
“इन नए कोर्सों का उद्देश्य विश्वविद्यालय की अकादमिक पहुंच को और व्यापक बनाना है, साथ ही इसे उच्च शिक्षा और अनुसंधान के अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में सशक्त करना है।”
प्राचीन ज्ञान और आधुनिक सोच का संगम
नए कोर्स इस सोच के अनुरूप डिज़ाइन किए गए हैं कि वे प्राचीन और आधुनिक नालंदा दोनों की शैक्षणिक विरासत को जोड़ सकें। गणित और दर्शनशास्त्र जैसे विषय जहां पुराने नालंदा के बौद्धिक स्वरूप से प्रेरित हैं, वहीं हिंदी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति और मातृभाषा को बढ़ावा देने की पहल के अंतर्गत जोड़ा गया है। अर्थशास्त्र को वैश्विक व स्थानीय जरूरतों के अनुरूप तैयार किया गया है।
पहले से संचालित पाठ्यक्रमों में ये विषय शामिल हैं:
- ऐतिहासिक अध्ययन
- पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन
- बौद्ध अध्ययन, तुलनात्मक धर्म
- हिंदू अध्ययन (सनातन धर्म)
- विश्व साहित्य
- पुरातत्व
- अंतरराष्ट्रीय संबंध और शांति अध्ययन
- सतत विकास और प्रबंधन में एमबीए
विश्वविद्यालय की यात्रा
गौरतलब है कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी और वर्ष 2014 में केवल 12 छात्रों के साथ इसकी शुरुआत हुई थी। बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 455 एकड़ में फैले अत्याधुनिक नालंदा परिसर का औपचारिक उद्घाटन किया था, जो राजगीर की खूबसूरत तलहटी में स्थित है।
नए पाठ्यक्रमों के जुड़ने से यह उम्मीद की जा रही है कि नालंदा विश्वविद्यालय एक बार फिर भारत और दुनिया के शैक्षणिक नक्शे पर एक प्रमुख संस्थान के रूप में उभरेगा।