NEWSPR डेस्क। राजधानी पटना से एक बड़ी खबर सामने आ रही है जहाँ AIIMS के कोरोना वार्ड में पोस्टेड डॉक्टर का बैचमेट बताते हुए कोई मरीज की फोटो भेजे और गंभीर हालत का आधार बनाकर बाहर से दवा मंगाने के लिए रुपए मांगे तो? पैसे जुटाकर भी कोई दे देगा। रोहतास के लालबाबू गुप्ता के परिजनों ने भी यही किया। 40 हजार 900 रुपए दे दिए। डॉ. जय प्रकाश नाम के इस शख्स ने इस तरह का खेल कितने लोगों के साथ किया, यह अब पुलिस ढूंढ़ेगी। लेकिन, लालबाबू गुप्ता की 17 साल की बेटी साक्षी ने जिस तरह इस शातिर के खिलाफ साक्ष्य जुटाए और PMO से जांच कराई, वह एक मिसाल है। PMO के आदेश पर अब फुलवारी शरीफ थाने में FIR दर्ज कर पुलिस डॉ. जय प्रकाश की गिरफ्तारी में जुट गई है।
बात कोरोना काल के उस दौर की है, जब पूरे देश की तरह पटना में भी इसका खौफ था। साक्षी के पिता लालबाबू गुप्ता कोरोना संक्रमित हो गए थे। पहले से उन्हें किडनी और ब्लड शुगर की बीमारी थी। 17 जुलाई 2020 को उन्हें गंभीर हालत में पटना AIIMS में एडमिट कराया गया था। परिवार वालों को हॉस्पिटल कैम्पस के बाहर ही रहना पड़ता था। AIIMS के पास पेशेंट के अटेंडेंट का मोबाइल नंबर मौजूद रहता था। 21 जुलाई को साक्षी के भाई दिनेश को एक रिश्तेदार के जरिए डॉ.
जय प्रकाश का मोबाइल नंबर 9835465566 मिला। बताया गया था कि वो पटना के ही पारस हॉस्पिटल का डॉक्टर है, पर मोबाइल पर उसने कहा कि वह अभी अपोलो हॉस्पिटल अगमकुआं का डॉक्टर है। उसने कहा कि लालबाबू गुप्ता को फोर्टिस दिल्ली में उसके बैचमेट रहे डॉ. हर्षवर्धन देख रहे हैं। वह फॉलोअप करता रहेगा। उसी दिन उसने कॉल किया कि लालबाबू गुप्ता की हालत सीरियस है। कुछ दवाएं बताईं और कहा कि AIIMS में यह नहीं है। कागज पर देना भी मना है। 5 डोज देना होगा। बाहर से मंगाना होगा।
भरोसा दिलाने के लिए उसने हॉस्पिटल के अंदर एडमिट लालबाबू गुप्ता का फोटो भी चैट पर भेजा। दिनेश तस्वीर देखकर विचलित हो गया। उसने डॉक्टर के अकाउंट में पहले 900, फिर 20 हजार रुपए गूगल-पे के जरिए भेज दिए। अगले दिन 22 जुलाई को फिर अगले डोज के लिए 20 हजार रुपए मांगे। जान बचाने के नाम पर उसने फिर गूगल-पे से ही पैसा भेज दिया। डॉ. जय प्रकाश के शातिराना अंदाज से साक्षी को उसपर शक होने लगा। पिता हॉस्पिटल में एडमिट थे, तो वह अपनी मां के साथ होम क्वारेन्टीन में थी। उसने 23 जुलाई 2020 को PMO के नंबर पर कॉल कर बताया कि AIIMS में मेडिसीन नहीं है।
PMO के अधिकारी चौंक गए। फिर अचानक AIIMS से कॉल आया और वहां पूछताछ के बाद साफ हो गया कि जय प्रकाश ने उसे ठगा है। बीमारी और इलाज के अपडेट के साथ पिता की तस्वीर उसके दिमाग में थी, जिससे उसे यह भी यकीन हो गया कि जय प्रकाश ने AIIMS के ही किसी स्टाफ से मदद ली है। इधर, 15 अगस्त को AIIMS से डिस्चार्ज होने के बाद 24 अगस्त को लालबाबू गुप्ता ने IGIMS में अंतिम सांस ली। पूरा परिवार गम में डूबा था। चार बहनों में सबसे छोटी साक्षी भी टूट गई थी, लेकिन उसने खुद को संभाला।
साक्षी ने ट्रू कॉलर सब्सक्रिप्शन के जरिए शातिर जय प्रकाश के मोबाइल नंबर से उसकी Email id निकाली। फिर उस रेस्टोरेंट रिव्यू को निकाला, जिसे जय प्रकाश ने अपनी Email id से मार्क दिया था। अब साक्षी जय प्रकाश के सोशल साइट की id तक पहुंच गई। वहां उसे भगवानो हेल्थ केयर क्लिनिक और उसके डिटेल के बारे में पता चला। इस क्लिनिक के बारे में कन्फर्म करने के लिए साक्षी ने अपनी एक दोस्त का सहारा लिया, उसके जरिए मोबाइल पर बात कर सबूत जुटाया।
NEWSPR के पास मौजूद इस कॉल रिकॉर्डिंग में जय प्रकाश खुद को पारस अस्पताल का डॉक्टर बता रहा है। एक बार फिर से पूरी जानकारी PMO को भेजी। अब उसे 14 जनवरी 2021 को PMO का Email आया और बताया गया कि AIIMS के सीनियर रेजिडेंट डॉ. अमित कुमार के जरिए जय प्रकाश ने पेशेंट की जानकारी हासिल की थी। PMO ने अपनी जांच कर FIR दर्ज करने और दोषी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया।
PMO के इस आदेश के बाद अब पटना पुलिस हरकत में है। वह दानापुर में किराया पर रहता है, वैसे मूल निवासी मुजफ्फरपुर का है। फुलवारी शरीफ के ASP मनीष खुद इस केस को देख रहे हैं। 24 जनवरी को साक्षी के बयान पर फुलवारी थाना में IPC की धारा 406 और 420 के तहत शातिर ठग डॉक्टर जय प्रकाश के खिलाफ FIR नम्बर 63/2021 दर्ज कर लिया गया।
पटना से विक्रांत की रिपोर्ट…