NEWSPR डेस्क। पटना मोकामा विधानसभा उप चुनाव अब एक अपरोक्ष युद्ध में तब्दील हो गया है, जहां बादशाह की रथ पर सवार हो कर युद्ध के मैदान में उनकी बीवी उतरी हैं। राजद और भाजपा की ओर से जो उम्मीदवार खड़े हुए हैं उनकी पहचान फिलहाल तो अपराध की दुनिया के बादशाह रहे उनके पति से है। यहां दिलचस्प यह है कि प्रत्याशी बन कर चुनाव में उतरी तो हैं पर परोक्ष रूप से हार और जीत बादशाह की ही होनी है।
बादशाह के रथ पर सवार होकर चुनाव लड़ने वाली बीवियों की यह कोई अकेला उदाहरण नहीं है। इसका एक लंबा इतिहास है। बाहुबली आनंद मोहन ने भी अपनी जगह लवली आनंद को चुनाव में उतारा था। लवली आनंद सांसद बनीं, बाद में विधायक भी बनीं। मुन्ना शुक्ला ने भी अपने रथ पर अपनी पत्नी अनु शुक्ला को चुनावी मैदान में उतारा था। अनु शुक्ला विधायक भी बनीं। राजबल्लभ यादव ने अपनी पत्नी विभा देवी को चुनावी मैदान में उतारा। सांसद तो नहीं बनीं, पर विधायक बन गईं। सुनील पांडे ने अपनी पत्नी गीता पांडे को तरारी विधान सभा से चुनावी मैदान से उतारा था। पर विधायक नहीं बन सकीं। बिंदी यादव ने अपनी पत्नी मनोरमा सिंह को विधान पार्षद बनाया। अखिलेश सिंह ने अपनी पत्नी अरुणा देवी को विधायक बनाया।
राजेंद्र यादव ने अपनी पत्नी कुंती देवी को विधायक बनाया। शाहबुद्दीन की पत्नी हीना साहेब को चुनाव मैदान में उतारा पर जीत हासिल नहीं हुई। अरुण यादव ने अपनी पत्नी किरण देवी को चुनावी मैदान में उतारा और विधायक बनाया। रमा सिंह ने अपनी पत्नी वीना देवी को विधायक बनाया। सुरजभान सिंह ने अपनी पत्नी वीना देवी को संसद बनाया। बुटन सिंह ने अपनी पत्नी लेसी सिंह को विधायक बनाया और बाद में मंत्री भी बनीं। अवधेश मंडल ने अपनी पत्नी बीमा सिंह को विधायक बनाया और ये फिर मंत्री भी बनीं। पप्पू यादव ने रंजिता रंजन को संसद बनाया। हाल में भुअर ओझा ने अपनी पत्नी मुन्नी देवी को विधायक बनाया।
मोकामा विधान सभा का उप चुनाव भी दो बहबालियों की बीवी के बीच की टकराहट से गर्मा गया है। इलाके में तनातनी का माहौल है। कुछ ऐसी चुनावी स्थिति बन गई है कि मुख्य मुकाबला महागंठबंधन की तरफ से खम ठोक रहीं चार बार विधायक रहे अनंत सिंह की बीवी नीलम देवी हैं तो दूसरी तरफ बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी हैं। ललन सिंह भी मोकामा विधानसभा से कई बार अनंत सिंह से टकरा कर हार को स्वीकार किया है। यह बात नीलम देवी को फेवर करती हैं। ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी के हक में एक बात यह है कि इस बार भाजपा की उम्मीदवार हैं और उन्हें सबका साथ सबका विकास का साथ है।
महागंठबंधन के उम्मीदवार के साथ नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का जुड़ जाना एज दे रहा है। मोकामा सीट गंठबंधन में जदयू को मिलते रहने का कारण भाजपा चुनावी ताकत को खुद के लिए आजमा नहीं पाई है। इस बार भाजपा के हिस्से मोकामा विधानसभा का उप चुनाव आया है। अब महागंठबंधन और एनडीए के बीच बाजी किसके हाथ लगती है, यह तो समय बताएगा। पर जो हो भाजपा ने चुनाव को रोचक जरूर बना डाला है।