देश में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है। संसद ने गुरुवार (22 अगस्त 2025) को वास्तविक धन वाले ऑनलाइन खेलों, उनसे जुड़े विज्ञापनों और भुगतान सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले के बाद ड्रीम11, पोकरबाज़ी और मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) जैसे लोकप्रिय ऐप्स ने अपने पैसे वाले गेम बंद कर दिए हैं।
2030 तक अरबों डॉलर का अनुमानित बाजार अब संकट में
विशेषज्ञों का अनुमान था कि भारत का ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग सेक्टर 2029 तक 3.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता था। लेकिन अचानक लगाए गए इस प्रतिबंध से उद्योग का भविष्य धुंधला पड़ गया है। यह क्षेत्र टाइगर ग्लोबल और पीक XV पार्टनर्स जैसे दिग्गज निवेशकों के लिए भी बड़ा झटका साबित हुआ है।
सरकार का तर्क – वित्तीय और मानसिक नुकसान का खतरा
सरकार ने इस बैन को सही ठहराते हुए कहा कि असली पैसों वाले गेम उपयोगकर्ताओं को वित्तीय हानि और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पहुंचा सकते हैं। यही वजह है कि इसे “हानिकारक” मानते हुए बैन किया गया।
नाज़ारा टेक को भारी नुकसान
प्रतिबंध का असर शेयर बाज़ार पर भी पड़ा। नाज़ारा टेक, जिसकी पोकरबाज़ी चलाने वाली कंपनी मूनशाइन टेक्नोलॉजीज़ में लगभग 46% हिस्सेदारी है, उसके शेयरों में लगातार गिरावट देखी गई। बीते तीन ट्रेडिंग सत्रों में नाज़ारा के शेयर करीब 17% टूट गए। मूनशाइन टेक्नोलॉजीज़ ने भी शुक्रवार से पैसे वाले ऑनलाइन गेम बंद कर दिए।
कंपनियां कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की तैयारी में
गेमिंग कंपनियां अब इस फैसले को चुनौती देने की तैयारी कर रही हैं। उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, कंपनियां सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए वकीलों से सलाह-मशविरा कर रही हैं। उनका तर्क है कि यह प्रतिबंध बिना पर्याप्त परामर्श के लागू किया गया है, इसमें कौशल-आधारित गेम जैसे पोकर को भी गलत तरीके से जुए की श्रेणी में डाल दिया गया है और इससे तेज़ी से बढ़ते क्षेत्र पर सीधा संकट मंडराने लगा है।