पटना हाई कोर्ट में शुक्रवार को ध्वनि प्रदूषण से जुड़ी याचिका पर जस्टिस राजीव रॉय की अदालत में सुनवाई हुई। यह याचिका सुरेंद्र कुमार द्वारा दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान मसौढ़ी थाना अध्यक्ष की ओर से हलफनामा प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई में विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।आज की सुनवाई में पटना जिले के सभी एसडीएम और चारों एसडीपीओ ने अपनी-अपनी कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की।
अदालत ने पिरबहोर थाना प्रभारी को निर्देश दिया कि वे ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं और विवाह या सार्वजनिक आयोजनों की वीडियोग्राफी सुनिश्चित करें ताकि नियमों के उल्लंघन की स्थिति में प्रमाण मौजूद रहे।कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जो लोग प्रदूषण नियंत्रण नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यशैली पर असंतोष जताते हुए कहा कि निर्माण स्थलों पर पर्दा नहीं लगाने से वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। अदालत ने जनरेटर से होने वाले अधिक शोर पर भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।पिछली सुनवाई में कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में पटना जिले के सभी एसडीओ ने अपनी रिपोर्टें दाखिल की थीं। सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने पटना सिटी, दानापुर, मसौढ़ी और बाढ़ के एसडीओ की ओर से जवाब पेश किया, जिसमें ध्वनि प्रदूषण के विरुद्ध उठाए गए कदमों का ब्यौरा दिया गया।कोर्ट ने आदेशों के पूर्ण पालन न करने पर मसौढ़ी, कदमकुआं और पिरबहोर थानाध्यक्षों को तलब किया था। चार एसडीपीओ को हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए गए थे, जिनमें बताया गया कि उनके क्षेत्र में फिलहाल कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है।पटना सिटी के एसडीओ की कार्रवाई की कोर्ट ने सराहना की। उनके क्षेत्र में जहां नियमों का उल्लंघन कर डीजे बजाया जा रहा था, वहां उपकरण जब्त कर जुर्माना लगाया गया। पटना सिटी और बाढ़ के अधिकारियों ने आम जनता को शिकायत दर्ज कराने के लिए संपर्क नंबर भी जारी किए हैं। कोर्ट ने बाकी सभी एसडीओ को भी कंट्रोल रूम नंबर सार्वजनिक करने का निर्देश दिया।पूर्व आदेशों के अनुसार, सभी पुलिस स्टेशनों को अपने क्षेत्र में डीजे की ध्वनि को निर्धारित डेसिबल सीमा में रखने और रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजने को कहा गया था। जो लोग सीमा से अधिक ध्वनि पर डीजे बजाते हैं, उन पर भारी जुर्माना लगाने का निर्देश दिया गया।
इसके अलावा, हाई कोर्ट ने सभी जिलों के डीएम, एसएसपी और एसपी को आदेश दिया था कि अस्पतालों, स्कूलों और कॉलेजों को ‘नो हॉर्न जोन’ घोषित किया जाए। साथ ही नगर निगम के माध्यम से जनता को ध्वनि और वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया गया।इस मामले में सहयोग के लिए अधिवक्ता अजय को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया है, जबकि सरकारी पक्ष की ओर से अधिवक्ता प्रशांत प्रताप पैरवी कर रहे हैं।अदालत ने राज्य के डीजीपी को भी निर्देश दिया कि पुलिसकर्मी 112 नंबर पर आने वाली ध्वनि प्रदूषण संबंधी शिकायतों को प्राथमिकता से दर्ज करें ताकि आम जनता को राहत मिल सके।कोर्ट ने कहा कि ध्वनि और वायु प्रदूषण राजधानी के नागरिकों, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर 2025 को होगी।