हैलो…मैं पटना हाईकोर्ट का जज बोल रहा…और फिर DGP की बोलती बंद, पकड़ा गया IPS को बचाने वाला जालसाज

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। पटना अभिषेक अग्रवाल। इसके नाम पर मत जाइए। इसके कारनामे ऐसे की DGP एसके सिंघल की बोलती बंद हो गई। इसने अपनी आवाज से एक IPS को जीवनदान दिला दिया। मगर पुलिस तो पुलिस होती है। बिहार पुलिस महानिदेशक को ये बात हजम नहीं हुई। उन्होंने इसकी खोजबीन करने की ठान ली। आर्थिक अपराध इकाई यानी EOU ने इसे गिरफ्तार किया। इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई ने पांच नामजद और कई के खिलाफ केस दर्ज किया है। इसके अलावा आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। इन्हीं के लिए अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को जज बनकर फोन किया था। इस मामले में चार लोगों की गिरफ्तार हुई है। फिलहाल सभी को पटना के बेउर जेल भेज दिया गया है। अब सोमवार को इनकी रिमांड के लिए ईओयू आवेदन देगी तो कुछ और मामले का खुलासा हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक अभिषेक अग्रवाल के पास से नौ मोबाइल सिम और दर्जनों मोबाइल मिला है। मोबाइल की फॉरेंसिक में आरोप सही पाए गए। बताया जा रहा है कि सख्ती से पूछताछ में भी आरोपी अभिषेक ने अपना जुर्म कबूल किया है। उसने कहा कि गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार को बचाने के लिए डीजीपी को जज बनकर फोन किया था। जिस आईपीएस अफसर को बचाने के लिए इसने फोन किया था उसे 24 घंटे में ही क्लीनचिट मिल गई थी। आईपीएस आदित्य कुमार के खिलाफ शराब के एक मामले में केस दर्ज हुआ था। उन पर भूमाफिया से सांठगांठ के भी आरोप थे। मगर अभिषेक से पूछताछ में जो बातें निकल कर सामने आई, उस आधार पर आदित्य कुमार के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।

इसका मतलब ये हुआ कि गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार की मुश्किलें बढ़ने लगी है। दरअसल, शराब के मामले में कार्रवाई नहीं करने को लेकर फतेहपुर थाने में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज थी। मार्च महीने में ही फतेहपुर थाने में आईपीएस आदित्य कुमार और फतेहपुर थाना अध्यक्ष रहे संजय कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। दोनों के खिलाफ उत्पाद अधिनियम के तहत केस दर्ज था। इन पर आरोप था कि गया के पूर्व एसएसपी ने अपने कार्यकाल के दौरान शराब मामले में ठोस कार्रवाई नहीं की। खासकर फतेहपुर थाना अध्यक्ष रहे संजय कुमार के प्रति वे नरम रहे। बताया जाता है कि शराब और कार बरामद होने के बावजूद भी इसकी प्राथमिकी फतेहपुर एसएचओ संजय कुमार ने नहीं दर्ज की थी। इस मामले के संज्ञान में आने के बाद भी तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार ने नरमी दिखाई थी। सनहा दर्ज कर छोड़ दिया गया था।

पुलिस महकमे की काफी किरकिरी होने के बाद डीजीपी ने मामले का संज्ञान लिया और पूरे मामले के जांच के आदेश दिए। आदित्य कुमार को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया। जांच के दौरान आरोप सही पाए गए, जिसके बाद पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) अंजनी कुमार सिंह ने गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार और फतेहपुर थानाध्यक्ष रहे संजय कुमार के खिलाफ फतेहपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मामले में आदित्य कुमार ने गया के स्पेशल एक्साइज कोर्ट वन में एंटीसिपेटरी बेल के लिए याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। बेल खारिज होने के बाद ये माना जा रहा है कि गया के पूर्व एसएसपी और फतेहपुर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष रहे संजय कुमार की गिरफ्तारी हो सकती है। इसके बाद आदित्य कुमार का संकट मोचक बनकर आया अभिषेक अग्रवाल। जिसके एक कॉल ने एफआईआर को ही रद्द करा दिया। उस फोन कॉल के बाद आदेश निकल गया कि एसएसपी के खिलाफ दर्ज केस ‘मिस्टेक ऑफ लॉ यानि कानूनी भूल’ है।

इस पूरे मामले में आईपीएस अमित लोढ़ा का भी एंगल है। बिहार पुलिस मुख्यालय ने दोनों आईपीएस अफसरों अमित लोढ़ा और आदित्य कुमार को एक साथ शो-कॉज जारी किया था। दोनों अफसरों पर गया में तैनाती के दौरान कर्तव्यहीनता, अनुशासनहीनता और अनियमितता का आरोप था। तब अमित लोढ़ा गया रेंज के आईजी और आदित्य कुमार गया के एसएसपी के पद पर थे। इसी दौरान दोनों अफसरों के आपसी खींचतान की शिकायत पुलिस मुख्यालय तक पहुंची। इसमें शराब, जमीन और अन्य मामलों में अनिमियतता की शिकायत मिली थी। इसके बाद फरवरी में एक साथ दोनों को पद से हटा दिया गया। इस मामले में अफसरों के विरुद्ध विस्तृत चार्जशीट तैयार की गई। दोनों को निलंबित कर दिया गया। अमित लोढ़ा पर दूसरे भी आरोप थे।

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