NEWSPR/DESK : बेटी बचाने वाले वादे का दम भरने वाली झारखण्ड सरकार शायद आज ये खबर पूरा ना सुन पाए l क्यूंकि आज की ये खबर सिस्टम के उस चिकने चुपडे गालों पर वो तमाचा है जो साल 2000 में हीं लग जाना था l
झारखण्ड से हर साल ना जाने कितनी ही लोगों की तस्करी की जाती है। मानव तस्करी में झारखण्ड में ज्यादातर लड़कियों की संख्या होती है। लोग बहला फुसलाकर लड़कियों को काम दिलाने के लालच में बड़े शहरों में ले जाते हैं और वहां से लड़कियां हमेशा के लिए गायब हो जातीं है। हजारों मामले में लड़कियों का कोई पता नहीं चल पाता है। गरीबी और अभाव में लड़कियां मानव तस्करों के चंगुल में फंस जाती हैं और मजबूरीवस काम की लालच में बड़े शहर चलीं जातीं हैं।
ऐसे कई मामले है जिसमे लड़किया नाबालिग है लेकिन गरीबी और जिम्मेदारी किसी की उम्र देखकर नहीं आती। अगर बात सिर्फ झारखण्ड की करें तो झारखंड में हर 10 लाख की आबादी पर 12,700 लोग मानव तस्करी के शिकार हो रहे हैं। इनमें से 80 फीसद से ज्यादा लोग इस चंगुल से निकल नहीं पाते हैं। हमें गाली देने की जरूरत नहीं है क्यूंकि ये हमारा नहीं बल्कि खुद यह आकड़ा नीति आयोग की रिपोर्ट ने जारी किया है।
अब आप अपना माथा पीट लेंगे ज़ब हम आपसे ये कहेँगे की मानव तस्करी में झारखण्ड चौथे स्थान पर है l
नीति आयोग की सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल की रिपोर्ट के अनुसार, मानव तस्करी के मामले में झारखंड देश में चौथे स्थान पर है। देश में प्रति 10 लाख की आबादी में औसतन 0.46 फीसद यानी 4600 लोग मानव तस्करी का शिकार होते हैं। वहीं झारखंड में यह आकड़ा 1.27 फीसद है। यानी हर साल 12,700 लोग इसके शिकार होते हैं। इस प्रकार राज्य का औसत राष्ट्रीय औसत से 0.81 फीसद ज्यादा है। ऐसे में मानव तस्करी को लेकर राज्य में चलाए जा रहे अभियान पर भी सवालिया भी निशान खड़े होते हैं।
ज्यादातर तस्करी के मामले सिमडेगा, गुमला, खूंटी व संथाल परगना से ही होते हैं।
राज्य में संथाल परगना समेत सिमडेगा, गुमला, खूंटी व अन्य मामलों में मानव तस्करी के मामले सामने आते हैं। बीते महीने भी 8 लड़कियों को तस्करी होने से बचाया गया है। ये लड़कियां किसी संदिग्ध महिला पुरुष की चंगुल में फंसकर महानगरों में जा रहीं थीं। इन्हे भी काम का लालच दिया गया था।
जिसके साथ ये बच्चियां स्टेशन में पायीं गयी थी उन्हें वह ठीक से जानती भी नहीं है। खैर राहत की बात यह है कि आरपीएफ की टीम ने इन बच्चियों को तस्कर के चंगुल में फंसने से पहले ही आजाद करवा लिया। दरअसल लड़कियों की लाचारी देखकर दलाल बच्चों के साथ-साथ लड़कियों को भी बाहर काम दिलाने के नाम पर बहला-फुसला कर ले जाते हैं। इनसे महानगरों में काम कराया जाता है। इसके लिए बकायदा कई प्लेसमेंट एजेंसी भी सक्रिय हैं। वहीं कुछ बच्चों को राज्य के दूसरे शहरों में भी काम कराया जाता है। आए दिन किसी न किसी रेलवे स्टेरशन से पुलिस की टीम तस्करी के लिए ले जाए जा रहे बच्चों को रेस्क्यू भी करती है।
दरअसल शुक्रवार को रांची रेलवे स्टेशन से आरपीएफ की नन्हे फरिश्ते और मेरी सहेली टीम ने 8 लड़कियों को रेस्क्यू किया था । इन लड़कियों को शहर से बहार विभिन्न विभन्न जगहों पर भेजा जा रहा था। इनको एक संदिग्ध पुरुष और महिला अपने साथ दिल्ली लेकर जा रहें थें। इस मामले में दोनों ही तस्कर यानी एक मामले में पुरुष और दूसरी मामले में महिला दोनों ही लड़कियों के लिए अनजान थे। लड़कियों को काम दिलाने के नाम पर दिल्ली ले जाया जा रहा था।
ऐसा अक्सर होता है कि लड़कियों को दिल्ली या अलग अलग शहरों में काम दिलाने के नाम पर ठगी होती है। लड़कियां शहर के बाहर निकलते ही गुम हो जाती हैं। रांची रेलवे स्टेशन पर जब लड़कियां दो संदिग्ध व्यक्तियों के साथ दिखीं तो मेरी सहेली और नन्हे फरिश्ते की टीम ने रोका और पूछताछ की। तब मुख्यद्वार के पास तीन बच्चियों ने से पूछताछ की गयी जो अनजान पुरुष के साथ थीं। बच्चियों ने बताया कि वह इस व्यक्ति को सही तरीके से नहीं जानती हैं। वह उन्हें काम दिलाने के नाम पर दिल्ली ले जा रहे थे। तीनों बच्चियां सिमडेगा की रहने वाली हैं। दूसरी ओर रांची रेलवे स्टेशन पर ही जांच के दौरान एक अन्य महिला के साथ पांच लड़कियां स्टेशन पर बैठी थीं। उनसे भी जब पूछताछ की गयी तो पता चला कि पांच और लड़की छत्तीसगढ़ के जसपुर की रहने वाली हैं और उन्हें भी काम दिलाने के नाम पर दिल्ली ले जाया जा रहा था।
दोनों मामले को लेकर गुमला और सिमडेगा थाना को सूचना दी गई। लड़कियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उन्हें रेलवे चाइल्ड लाइन रांची को सौंप दिया गया, जिनके साथ यह लड़कियां दिल्ली जा रही थी उन्हें फिलहाल पूछताछ के लिए रेल पुलिस कस्टडी में रखी है। बता दें कि इन दिनों लगातार आरपीएफ की टीम रेलवे स्टेशन पर सक्रीय है क्योंकि लॉकडाउन के दौरान तस्करी का मामला बढ़ा है। इसलिए नन्हे फरिश्ते और मेरी सहेली की टीम की मदद से संयुक्त रूप से रांची रेल मंडल के विभिन्न स्टेशनों पर जांच अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन जरा सोचियेगा नागरिक बन कर की क्या चुनाव में आप अपने अंगूठे का इस्तेमाल बस विधायक सांसद बनाने के लिए करते हैं या अपने हक़ की भी कोई चिंता आपको उस वक़्त होती है l