News PR Desk, Patna : हर साल 15 मई को परिवार की अहमियत बताने के लिए अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। समाज की कल्पना परिवार के बिना अधूरी है। परिवार पतंग की उस डोर जैसा है जिसके छूट या टूट जाने से पतंग ऊपर उड़ने के बजाय जमीन पर आ गिरता है। भारत में परिवार ही समाज को सभांलती है, विदेशों में ऐसा नहीं होता है। सिर्फ अपना परिवार ही नहीं, हमारे नाते-रिश्तेदार, दोस्त भी परिवार का विस्तार हैं और हमारी जिंदगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में रिश्ते की इतनी महत्वता है की देश में हर करीबी रिश्तों पर पर गांव या कस्बों के नाम देखने को मिल जाते हैं। हैरानी की बात यह है कि परिवार की सबसे मजबूत स्तंभ माँ के नाम पर एक भी गांव नहीं मिलेगा।
देश में सैकड़ो की संख्या में गांव हैं जिनका नाम किसी न किसी रिश्ते के नाम पर है, पर माँ के नाम पर एक भी नहीं। देश में लगभग 266 ऐसे गांव है जिससे किसी न किसी रिश्ते का नाम जुड़ा हुआ है। सबसे ज्यादा गांव-कस्बों के नाम के आगे या पीछे नाना या नानी जुड़ा हुआ है। नाना नानी के नाम पर तकरीबन 200 कस्बे हैं। दादा-दादी के नाम पर सिर्फ 30 गांव हैं। देश भर में 21 गांव या कस्बे के नाम में भइया शब्द जुड़ा हुआ है। दोस्त के नाम पर 15 गांव है। बहन के नाम पर 8, पिता 6, मामा 3 और एक गांव मामी के नाम पर भी है पर माँ के नाम से जुड़ा कुछ भी नहीं।