Patna Desk: बिहार में कोरोना वायरस रोकथाम के लिए नीतीश सरकार ने लॉकडाउन को आठ जून तक के लिए आगे बढ़ा दिया है. हालांकि इस बार लॉकडाउन के नियमों में ढील दी गई है. वहीं, बिहार में कोरोना और बारिश के मौसम के चलते पंचायत चुनाव टलने को लेकर आज नीतीश कैबिनेट की एक महत्वपू्र्ण बैठक होने जा रही है. माना जा रहा है कि इस बैठक में पंचायत चुनाव होने तक अधिकारियों को प्रशासकीय भूमिका सौंपने पर निर्णय हो सकता है.
गौरतलब है कि बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अगले तीन महीने तक कराया जाना संभव नहीं है. इस बीच 15 जून को पंचायती राज के करीब ढाई लाख प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. समय पर पंचायत चुनाव न हो पाने की दशा में विपक्ष पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहा था लेकिन सरकार के सूत्रों का कहना है कि ऐसी कोई संवैधानिक व्यवस्था नहीं है. ऐसे में अधिकारियों को प्रशासकीय अधिकार सौंपे जाने के अलावा फिलहाल कोई विकल्प नहीं दिख रहा है. सूत्रों का कहना है कि सरकार 15 जून के बाद पंचायत प्रतिनिधियों के सारे अधिकार, प्रशासकीय अधिकारियों को सौंपने का निर्णय ले सकती है.
इसमें प्रखंड विकास अधिकारी, उप विकास आयुक्त, और पंचायत सचिव के पास अधिकार होंगे. जिला परिषदों का संचालन जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी यानी उप विकास आयुक्त करेंगे. इसी तरह प्रखंड स्तरीय पंचायत समिति का जिम्मा प्रखंड विकास पदाधिकारी का होगा और ग्राम ग्राम पंचायत का जिम्मा पंचायत समिति सचिवों के पास होगा.
जानकारों के मुताबिक पंचायत चुनाव टलने की स्थिति में प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने का कोई कानून बिहार में नहीं है. सरकार, राज्यपाल की इजाजत से कैबिनेट के जरिए से प्रस्ताव पारित कर इस सम्बन्ध में अध्यादेश जारी कर सकती है. चुनाव के बाद शक्तियां नए पंचायत प्रतिनिधियों को मिल जाएंगी.
पंचायत चुनाव होने तक अधिकारियों को प्रशासक तो बनाया जाएगा लेकिन उन्हें कोई नई योजना लाने का अधिकार नहीं होगा. उनके पास पहले से चल रही योजनाओं को चलाने की ही शक्ति होगी. इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और भाजपा सांसद रामकृपाल यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी. मांझी ने कहा था कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल छह महीने तक बढ़ा दिया जाना चाहिए.