भारतीय रेलवे में हाथियों के इस्तेमाल से लेकर शौचालय बनने तक, जानें ऐसी ही रोचक जानकारियां

Patna Desk

नेटवर्क के मामले में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी भारतीय रेलवे लगभग 2.50 करोड़ लोगों की जीवनरेखा है, जो इसे हर दिन इस्तेमाल करते हैं. आज हम आपको बता रहे हैं हमारी भारतीय रेलवे के बारे में ऐसे ही कुठ रोचक तथ्यों के बारे में…

एक चिट्ठी से बने ट्रेन में शौचालय
असल में पहले ट्रेनों में शौचालय नहीं हुआ करते थे. वर्ष 1891 में केवल फर्स्ट क्लास के डिब्बों में ये सुविधा शुरू की गर्इ. बताया जाता है कि 1909 में पश्चिम बंगाल के एक यात्री ओखिल चंद्र सेन ने रेलवे स्टेशन को एक चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने शिकायत की थी कि वह टॉयलेट करने ट्रेन से उतरे थे. इस बीच उनकी ट्रेन चली गई. इस चिट्ठी के बाद ट्रेन में शौचालय बनाए गए.

ऑनलाइन टिकट बुकिंग

रेलवे के नाॅर्थ जोन के सीपीआर एस नेगी का कहना है कि पहले लोगों को टिकट लेने के लिए घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता था. इससे निजता दिलाने के लिए तीन अगस्त 2002 को पहली बार भारतीय रेलवे ने घर बैठे इंटरनेट के जरिए टिकट बुक कराने की सुविधा शुरू की.

टॉय ट्रेन
4 जुलाई 1881 को पूर्वोत्तर में पहली बार आधिकारिक तौर पर यह टॉय ट्रेन चली. इसे यूनेस्को से वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त है. ये टॉय ट्रेन भारत के सबसे ऊंचे रेलवे स्टेशन तक जाती है.

भारत की एलीट ट्रेन है राजधानी
राजधानी भारत की एलीट ट्रेन है जो आम यातायात के लिए इस्तेमाल होती है. पटरियों के आवंटन के मामले में भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है. इसका नाम राजधानी इसलिए रखा गया क्योंकि यह दिल्ली और बाकि प्रदेशों की राजधानी में ही चलती है. इस ट्रेन के टिकट सबसे मंहगे है.

ममता बैनर्जी की पेंटिंग से प्रेरित होकर रंगी गर्इ दुरंतो
दुरंतो का रंग पीला और हरा है, जो ममता बनर्जी की एक पेंटिंग से प्रेरित है. यह नॉन स्टोप ट्रेन है. सिर्फ तकनीकी खामी या कैटरिंग के चलते कभी-कभी बीच के स्टेशनों पर गाड़ी को रोकते हैं. सबसे खास बात यह है कि इसे राजधानी से भी तेज माना जाता है.

हाथियों का होता था इस्तेमाल
भारतीय रेल चिनाब नदी के ऊपर सबसे ऊंचा पुल बना रही है. यह पुल एफिल टॉवर से भी ऊंचा होगा. वहीं, रेलवे के शुरुआती दिनों में डिब्बों को इधर-उधर वयवस्थित करने के लिए हाथियों का इस्तेमाल किया जाता था.एक साथ दो राज्यों में रुकती है एक ही ट्रेन

नवापुर का रेलवे स्टेशन दो राज्यों के बीच बना है. यहां रुकने वाली ट्रेन का आधा हिस्सा महाराष्ट्र में और आधा गुजरात में रुकता है. इसी तरह भवानी मंडी रेलवे स्टेशन राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच स्थित है.

एशिया का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क

भारतीय रेलवे एशिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क के रूप में जाना जाता है. यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है, जो एक ही मैनेजमेंट के अंतर्गत चलाया जा रहा है.

ट्रेन नंबर देखकर पता चलता है गाड़ी का
ट्रेन नंबर देखकर ही यह बताया जा सकता है कि जिस ट्रेन में आप यात्रा कर रहे हैं, वह किस तरह की ट्रेन है, जैसे कि वह दूरंतो है, राजधानी है, शताब्दी है या फिर अन्य किसी तरह की ट्रेन है. ट्रेन टिकट 5 डिजिट का होता है, जो 0 से लेकर 9 तक हो सकते हैं. अगर पहला डिजिट 0 है तो इसका मतलब है कि वह कोई स्पेशल ट्रेन है, जैसे समर स्पेशल, हॉलीडे स्पेशल या कोई अन्य स्पेशल तरह की ट्रेन.

अगर पहला डिजिट 1 है, तो यह लंबी दूरी की ट्रेन होने का संकेत देता है. इससे यह भी साफ होता है कि यह ट्रेन राजधानी, शताब्दी, जन साधारण, संपर्क क्रांति, गरीब रथ या दूरंतो है. वहीं, पहला डिजिट 2 होना भी लंबी दूरी की ट्रेन की ओर इशारा करता है. ट्रेन नंबर का पहला डिजिट 3 कोलकाता सब अरबन ट्रेन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. 4 उन सब अरबन ट्रेनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो चेन्नई, नई दिल्ली, सिकंदराबाद और अन्य मेट्रोपॉलिटिन शहरों में चलती हैं.

ट्रेन का नंबर अगर इस डिजिट से शुरु होता है
– पहला डिजिट 5 होने का मतलब है कि वह एक सवारी गाड़ी है.
– पहला डिजिट 6 होने पर यह मेमू ट्रेन को दर्शाता है.
– 7 डेमू ट्रेन को दिखाता है.
– पहला डिजिट 9 होना मुंबई एरिया में सब अरबन ट्रेन को दिखाता है.

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