NEWSPR डेस्क। 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस मनाया जाता है। पेड़ों के महत्व के बारे में जन-जागरूकता फैलाने के लिए इसे मनाया जाता है। वहीं इस मौके पर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने वन संपदा के महत्व को समझने और सरंक्षित करने का संकल्प लिया। साथ ही उन्होंने प्रदेशवासियों से भी वन संपदा को संरक्षित करने की अपील की।
बता दें कि इस वर्ष विश्व वानिकी दिवस 2022 की थीम ‘वन और सतत उत्पादन और खपत‘ (Forests and sustainable production and consumption) है। विश्व वानिकी दिवस पहली बार वर्ष 1971में इस उद्देश्य से मनाया गया था कि दुनिया के तमाम देश अपनी मातृभूमि की मिट्टी और वन- सम्पदा का महत्व समझे तथा अपने-अपने देश के वनों और जंगलों का संरक्षण करें। अगर हम भारत की बात करें तो 22.7% भूमि पर ही वनों और जंगलों का अस्तित्व रह गया है। भारत में वन महोत्सव जुलाई 1950 से ही मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत तत्कालीन गृहमंत्री कुलपति कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने की थी।
विश्व वानिकी दिवस मनाने का विचार 1971 में यूरोपीय कृषि परिसंघ की 23वीं महासभा में आया। वानिकी के तीन महत्वपूर्ण तत्वों- सुरक्षा, उत्पादन और वनविहार के बारे में लोगों को जानकारियां देने के लिए उसी साल बाद में 21 मार्च के दिन को चुना गया। वन प्रागैतिहासिक काल से ही मानवजाति के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण रहा है। वन का मतलब केवल पेड़ नहीं है बल्कि यह एक संपूर्ण जटिल जीवंत समुदाय है। वन की छतरी के नीचे कई सारे पेड़ और जीव-जंतु रहते हैं। वनभूमि जीवाणु, कवक जैसे कई प्रकार के अकशेरूकी जीवों के घर हैं। ये जीव भूमि और वन में पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।