NEWSPR डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव के जीत के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में एक बार फिर से अपनी सरकार बनाई हैं। नीतीश सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बना हुआ हैं। जिसको लेकर जहां डॉ मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा वहीं, अब तेजस्वी यादव से भी नैतिकता के आधार पर नेता प्रतिपक्ष छोड़ने की मांग जोर पकड़ रही है.
इसी क्रम में अब एक और खुलासा हुआ है जो बिहार की इस नई सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है. दरअसल एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और इलेक्शन वॉच की स्टडी में नीतीश कैबिनेट के 14 मंत्रियों में से आठ के खिलाफ आपराधिक मामले निकलकर आए हैं. वहीं छह के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
आपराधिक मामलों वाले 8 मंत्रियों में से बीजेपी के 4, जेडीयू के 2 और हम व वीआईपी के एक-एक शामिल हैं। हालांकि, चौधरी को मंत्रिमंडल में शामिल करते ही हंगामा शुरू हो गया और उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया. बता दें कि 2017 में चौधरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनसे मिलने से भी इनकार कर दिया था. इसके बाद सुशील कुमार मोदी ने लगातार इस मुद्दे को उठाया था और मेवालाल की गिरफ्तारी की मांग की थी, लेकिन उन्हें नीतीश सरकार में मंत्री बनाए जाने को लेकर हर कोई हैरान था.
बता दें कि मेवालाल चौधरी का नाम बीएयू भर्ती घोटाले में सामने आया था और राजभवन के आदेश से उनके खिलाफ 161 सहायक प्रोफेसर और कनिष्ठ वैज्ञानिकों की नियुक्ति के मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. बता दें कि 12.31 रुपए की घोषित संपत्ति के साथ चौधरी सबसे अमीर मंत्री थे. वहीं, 14 मंत्रियों की औसत संपत्ति 3.93 करोड़ रुपए है।
मेवालाल चौधरी ने अपने शपथ पत्र में आईपीसी के तहत एक आपराधिक मामला और चार गंभीर मामले घोषित किए हैं. पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री मुकेश सहनी ने पांच आपराधिक मामलों और गंभीर प्रकृति के तीन मामलों की घोषणा की है. बीजेपी के जिबेश कुमार ने भी पांच आपराधिक मामलों और गंभीर प्रकृति के चार मामलों की घोषणा की है. वहीं पांच अन्य हैं जिनके खिलाफ अलग-अलग प्रकृति के आपराधिक मामले दर्ज हैं.