पटना:जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) पार्टी के द्वारा कर्पूरी रथ और नारी शक्ति रथ को रवाना किया गया। इस मौके पर जेडीयू कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने हरि झंडी दिखाकर रथ को रवाना किया। इस कार्यक्रम में बिहार सरकार के मंत्री मदन साहनी, एमएलसी संजय गांधी सहित कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे।कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा का बयान:संजय झा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि नीतीश कुमार का महिला सशक्तिकरण और अति पिछड़ा वर्ग को ताकत देने में महत्वपूर्ण योगदान है।
उन्होंने बताया कि जब सरकार बनी थी, तब महिला को 50% आरक्षण, शिक्षा में सुधार, और नौकरी में रिजर्वेशन की शुरुआत हुई। यह सब पिछले 18-19 वर्षों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुआ।उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग को पंचायतों में आरक्षण नहीं था, लेकिन 2006 से इस दिशा में नीतीश कुमार ने काम शुरू किया। उन्होंने कर्पूरी छात्रावास और अन्य सुविधाओं की भी बात की। अब ये दोनों रथ राज्य भर में घूमेंगे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के किए गए कार्यों को लोगों तक पहुंचाएंगे।तेजस्वी यादव का बयान:तेजस्वी यादव ने बीएससी अभ्यर्थियों के सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार सही और उचित कदम उठाएगी और इस पर वे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। उन्होंने यह भी कहा कि बीएससी के अभ्यर्थियों के लिए पारदर्शी तरीके से इतनी बड़ी बहाली पहले कभी नहीं हुई।तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के बारे में भी बात की, जो कल से शुरू होने जा रही है। उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार पिछले 19 वर्षों से यात्रा कर रहे हैं, और यह यात्रा तब शुरू हुई थी जब वे मुख्यमंत्री नहीं थे।
यात्रा का उद्देश्य लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढना और उनके द्वारा किए गए कार्यों का फीडबैक लेना है।तेजस्वी यादव का माई बहिन मान योजना पर बयान:तेजस्वी यादव ने माई बहिन मान योजना को लेकर कहा कि नीतीश कुमार ने कभी राजनीतिक गेम नहीं किया। यह योजना उनके जीवन में बदलाव लाने वाला कदम था और इसे सही तरीके से लागू किया गया।वन नेशन, वन इलेक्शन पर विपक्ष के विरोध पर प्रतिक्रिया:तेजस्वी यादव ने कहा कि जब से देश में चुनाव हो रहे हैं, तब से वन नेशन, वन इलेक्शन लागू था। 1952 में केंद्र और राज्य के चुनाव एक साथ हुए थे। 1967 से कांग्रेस द्वारा प्रदेशों में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के बाद यह व्यवस्था बदल गई। जेडीयू और उनके नेता का मानना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए, ताकि इंफ्रास्ट्रक्चर पर लाखों रुपये की बचत हो और काम रुकने की स्थिति से बचा जा सके।