NEWSPR डेस्क।दुनिया भर में अपनी कथक नृत्य से पहचान बनाने वाले प्रसिद्ध नर्तक पंडित बिरजू महराज का रविवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने 83 वर्ष में अपनी अंतिम सांस ली। उनकी मौत का कारण हार्ट हटैक बताया जा रहा है।रिपोर्ट्स के मुताबिक रविवार को देर रात बिरजू महाराज अपने पोते के साथ खेल रहे थे। इसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया और वह अचेत हो गए। इसके बाद उन्हें परिजन दिल्ली के ही साकेत के एक अस्पताल में ले गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। कुछ दिन पहले ही वह किडनी की समस्या से ठीक हुए थे और फिलहाल डायलिसिस पर थे। पंडित बिरजू महाराज के निधन से भारतीय कला जगत ने अपने एक अनूठे कलाकार को खो दिया है।
फेसबुक पोस्ट के जरिए दी जानकारी
पद्म विभूषण से सम्मानित बिरजू महराज के निधन की जानकारी उनके पोते स्वरांश मिश्रा ने फेसबुक पोस्ट के जरिए दी। उन्होंने लिखा, ‘’बहुत ही गहरे दुख के साथ हमें बताना पड़ रहा है कि आज हमने अपने परिवार के सबसे प्रिय सदस्य पंडित बिरजू जी महाराज को खो दिया।17 जनवरी को उन्होंने अंतिम सांस ली। मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।‘’
पंडित जी या महाराज जी के उपनाम से लोकप्रिय रहे बिरजू महाराज को देश के शीर्ष कथक नृतकों में से एक माना जाता रहा है। दशकों से वह कला जगत के सिरमौर रहे हैं। उनका संबंध कथक नृतकों के महाराज परिवार से रहा है। उनके चाचा शंभू महाराज और लच्छू महाराज भी कथक के नृतक थे। इसके अलावा उनके पिता और गुरु अच्छन महाराज भी हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक के बड़े कलाकार थे। कथक नृत्य के जरिए सामाजिक संदेश देने के लिए बिरजू महाराज को हमेशा याद किया जाएगा। कला जगत की कई बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
बिरजू महाराज के निधन पर शोक जताते हुए गायक अदनान सामी ने ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ‘’महान कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज जी के निधन की जानकारी से अत्यंत दुखी हूं।हमने कला के क्षेत्र में एक अद्वितीय संस्थान खो दिया है। उन्होंने अपनी प्रतिभा से कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है. उनकी आत्मा को शांति मिले।‘’
1983 में मिला था पद्म विभूषण सम्मान
बिरजू महाराज ने देवदास, डेढ़ इश्किया, उमराव जान और बाजी राव मस्तानी जैसी फिल्मों के लिए डांस कोरियोग्राफ किया था। इन्होंने सत्यजीत राय की फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में संगीत दिया था। बिरजू महाराज को 1983 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान भी मिला था। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय ने बिरजू महाराज को डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी थी।