NEWSPR डेस्क। गयाजी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर सवाल खड़ा किया है। मांझी पहले भी बिहार की शराबबंदी पर सवाल खड़े करते रहे हैं। उन्होंने पूर्व में भी अधिकारियों द्वारा शराब का सेवन करने की बात कही है। अब उन्होंने शराब पीने में छूट देने की मांग की है।
हालांकि केंद्रीय मंत्री मांझी ने यह स्वीकार किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबंदी के पीछे की मंशा सही थी, लेकिन उन्होंने इसके कार्यान्वयन पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा कानून मुख्य रूप से गरीबों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को निशाना बना रहा है, जबकि असली अपराधी छूट रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री मांझी के अनुसार, बिहार में शराबबंदी कानून के तहत जेल में बंद लोगों में से 50 प्रतिशत से अधिक लोग समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से संबंधित हैं। मांझी ने बिहार सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि शराबबंदी की असली परीक्षा तब होगी जब शराब का सेवन करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों और शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि छोटे-मोटे अपराधियों को गिरफ्तार करना और आंकड़ों को उजागर करना आत्म-प्रशंसा के समान है, जबकि बड़े अपराधी स्वतंत्र रूप से अपना काम करते रहते हैं। केंद्रीय मंत्री मांझी ने गुजरात के शासन मॉडल का हवाला देते हुए सुझाव दिया कि बिहार को शराबबंदी के लिए अधिक व्यावहारिक और प्रभावी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी तर्ज पर कानून को लागू करने से आम लोगों को अनावश्यक रूप से परेशान होने से बचाने में मदद मिलेगी, साथ ही शराबबंदी के उद्देश्यों को भी प्राप्त किया जा सकेगा।