बिहार में मानसून कमजोर, उमस और गर्मी से परेशान लोग — बारिश की उम्मीद 20 जुलाई के बाद

Jyoti Sinha

बिहार में इस समय मानसून की रफ्तार थमी हुई है, जिससे राज्य के ज्यादातर हिस्सों में भीषण उमस और गर्मी से लोग बेहाल हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) की ताजा जानकारी के अनुसार, शनिवार को राज्य के किसी भी जिले के लिए बारिश का कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है। लगातार तापमान और आद्र्रता का स्तर अधिक बना रहने से मौसम असहज और चिपचिपा बना रहेगा।

पिछले 24 घंटे का हाल

पटना समेत दक्षिण बिहार के कई हिस्सों में शुक्रवार को बादलों और धूप के बीच आंख-मिचौली का खेल देखने को मिला। वातावरण में अत्यधिक नमी के चलते लोगों को तेज उमस का अनुभव हुआ। राज्य में औसतन 9.8 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है।

जल्द ही बदल सकता है मौसम का मिजाज

मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के अनुसार बंगाल की खाड़ी से आ रही पुरवा हवाओं में नमी होने के बावजूद, अभी तक कोई सक्रिय मानसूनी सिस्टम मौजूद नहीं है। न तो ट्रफ रेखा बनी है और न ही कोई निम्न दबाव क्षेत्र विकसित हुआ है। हालांकि, 20 जुलाई के आसपास बंगाल की खाड़ी में एक नया कम दबाव क्षेत्र बनने की संभावना जताई गई है, जिससे बिहार में फिर से बारिश का दौर शुरू हो सकता है।

पटना में फिलहाल राहत नहीं

राजधानी पटना में शनिवार को मौसम गर्म और उमसभरा बना रहेगा। अधिकतम तापमान 34-35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री अधिक रह सकता है। हवा की गति औसतन 8-10 किमी प्रति घंटे और नमी का स्तर 75 प्रतिशत से ऊपर रहने का अनुमान है।

आने वाले दिनों में क्या होगा?

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, अगले दो से तीन दिनों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में तापमान 1 से 3 डिग्री तक बढ़ सकता है। इससे गर्मी और उमस की स्थिति बनी रहेगी। हालांकि इसके बाद हल्की गिरावट आने की संभावना है। रात का तापमान भी सामान्य से अधिक बना रह सकता है, जिससे रातें भी गर्म रहेंगी।

17 जुलाई को कहां-कहां बरसी बारिश

राज्य के कुछ हिस्सों में 17 जुलाई को अच्छी बारिश दर्ज की गई। शेखपुरा में सर्वाधिक 92.4 मिमी, पटना में 92.2 मिमी, नवादा में 64.2 मिमी, नालंदा में 50.6 मिमी और वैशाली में 45.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।

अब तक 42% कम बारिश

मानसून के इस सीजन में राज्य में अब तक औसतन 317.9 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन केवल 217.2 मिमी ही हुई है — यानी सामान्य से 42 प्रतिशत कम। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अगले 10-15 दिनों में मानसून सक्रिय नहीं हुआ तो धान की रोपनी और खरीफ फसलों पर गंभीर असर पड़ सकता है। जुलाई का तीसरा और चौथा सप्ताह कृषि कार्यों के लिए बेहद अहम माना जाता है।

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