NEWSPR डेस्क। सुशांत सिंह राजपूत मामले में लगातार अपने बयानों के कारण मुंबई सरकार के रडार पर रहने वाली बॉलीवुड कंगना रनौत को बड़ी सफलता हासिल हुई हैं। लगातार विवादों में घिरने के बाद बीएमसी ने अवैध जमीन पर दफ्तर बनाने का हवाला देते हुए कंगना के पाली हिल स्थित दफ्तर पर बुलडोजर चढ़ा दिया था जिसके बाद कंगना ने मुंबई हाइकोर्ट में अपने दफ्तर को तोड़े जाने और उसके हर्जाने की भुगतान को लेकर अर्जी दी थी।
जिसके बाद आज मुंबई में दफ्तर को तोड़े जाने संबंधित मामले पर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक कंगना के दफ्तर में हुए नुकसान का मूल्यांकन किया जाएगा. कोर्ट ने साफ कहा है कि बीएमसी द्वारा तोड़फोड़ में हुए नुकसान के बयान का वह समर्थन नहीं करता है.
कोर्ट ने माना कि ये सभी चीजें कंगना को धमकाने के मकसद से की गईं थी और BMC की मंशा ठीक नहीं थी, दिया गया नोटिस और की गई तोड़फोड़ असल में कंगना को धमकाने के लिए ही थी. कोर्ट ने कहा कि कंगना को हर्जाना दिए जाने के लिए दफ्तर में हुई तोड़फोड़ का मूल्यांकन किया जाए और इस मूल्यांकन की जानकारी कंगना और BMC दोनों को होनी चाहिए ओर हर्जाना बीएमसी के द्वारा होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि कंगना BMC से दफ्तर को दोबारा बनाने के लिए आवेदन करेंगी इसके अलावा वह BMC को इस बात का भी आवेदन दे सकती हैं कि दफ्तर के जो हिस्से टूटे नहीं हैं उन्हें दोबारा से सुव्यवस्थित किया जाए. कोर्ट का ये फैसला दफ्तर में हुई तोड़फोड़ के बाद करीबन 2 महीने तक चली बहसों के बाद सुनाया गया है.
कोर्ट ने कंगना के दिये गए आपत्तिजनक बयानों और पोस्ट के बारे में कहा कि उन्हें सोच समझ कर बोलना चाहिए। कंगना द्वारा दिए गए बयान गैरजिम्मेदाराना हैं लेकिन बेहतर तरीका यही है कि ऐसे बयानों को नजरअंदाज किया जाए. कोई व्यक्ति विशेष कुछ भी मूर्खतापूर्ण बात कहे राज्य द्वारा समाज पर बाहुबल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा कोर्ट ने तस्वीरों और अन्य सामग्रियों का विश्लेषण किया जिनमें संजय राउत कंगना को धमकी दे रहे हैं और फिर बीएमसी को भी जमकर फटकार लगाई।