मुजफ्फरपुर में लॉकडाउन के दौरान निजी अस्पतालों ने 400 लोगों का किया नसबंदी, स्वास्थ्य विभाग को थमाया 25 लाख रुपये का बिल, मामले की होगी जांच

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। मुजफ्फरपुर में लॉकडाउन के दौरान भी 400 लोगों का नसबंदी किया गया है। जिले के निजी अस्पतालों ने नसबंदी के नाम पर स्वास्थ्य विभाग को 25 लाख रुपये का बिल थमा दिया है। ऐसे में अब सवाल भी उठने लगे हैं। जब कोरोना की लहर में जब सबकुछ बंद था और लोग घरों में कैद थे, तो इतनी नसबंदी कैसे हुई है। लॉकडाउन के चलते लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे थे, तब ऑपरेशन कैसे हो गया। सरकारी अस्पतालों में भी इस दौरान ऑपरेशन बंद थे। सिर्फ इमरजेंसी ऑपरेशन किए जा रहे थे। सरकारी अस्पतालों में प्रसव की संख्या में गिरावट आयी थी। इसलिए स्वास्थ्य विभाग बिल की जांच के साथ जिन मरीजों की नसबंदी की गई थी, उनका भी सत्यापन कराएगा। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि यदि मरीज के डाटा में गड़बड़ी मिलती है तो संबंधित अस्पतालों पर कार्रवाई की जाएगी। प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की टीम नसबंदी कराने वालों का सत्यापन करेगी।

आपको बता दें कि निजी अस्पतालों को एक मरीज की नसबंदी पर 3500 रुपये दिये जाते हैं। यह राशि सरकार की तरफ से मिलती है। इसके अलावा मरीजों को भी तीन हजार की राशि दी जाती है। मरीज को नसबंदी कराने के लिए अस्पताल तक लाने वाले परामर्शदाता या आशा को 600 रुपये दिये जाते हैं। निजी अस्पतालों में जुलाई 2020 से लेकर अगस्त 2021 तक आठ परिवार नियोजन पखवाड़ा दिखाया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इस पखवाड़े का भी बिल भुगतान रोक दिया है। एसीएमओ का कहना है कि पखवाड़े में कितने लोगों की नसबंदी हुई, इसकी जांच होगी। इसके बाद बिल आगे बढ़ेगा। इस जांच के लिए भी डॉक्टरों की टीम बनाई जाएगी।

परिवार नियोजन के साथ आंख का ऑपरेशन करने वाले अस्पताल भी जांच के घेरे में हैं। अंधापन निवारण योजना के तहत इन अस्पतालों में प्रत्येक मरीज के इलाज और ऑपरेशन पर दो हजार की राशि दी जाती है। एसीएमओ ने बताया कि कई अस्पतालों के बिल में गड़बड़ी की शिकायत मिली है। जबतक जांच नहीं होगी, भुगतान रोककर रखा जाएगा।

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