NEWSPR डेस्क। जातिगत जनगणना को लेकर मुख्यंत्री नीतीश कुमार के तेवर तल्ख हो गये हैं। वो दिल्ली में हैं। उन्होंने इस मामले को लेकर केन्द्र सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है। दरअसल नक्सल समस्या को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ कई राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ आज बैठक हुई। नीतीश कुमार भी उस बैठक में शामिल थे। बैठक के बाद मुख्यंत्री नीतीश कुमार मीडिया से बातचती की। इस दौरान उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया कि केन्द्र सरकार जातिगत जनगणना को लेकर फिर से विचार करें। ये सबके हित में है।
नीतीश कुमार ने कहा कि ये सब को पता है कि जातिगत जनगणना में थोड़ी परेसानी होगी, लेकिन ये सबके हित में है। इसे करना जरुरी भी है। इसके लिये कर्मचारियों की ट्रेनिंग कराई जा सकती है। जातीय जनगणना में कई लाख जाति और उप जातियां आ जाएंगी, लेकिन उसका विभाजन तो किया ही जा सकता है। उसे एक कैटेगरी में बांटा जा सकता है। ये बहुत मुश्किल नहीं है। ये सबके लिए फायदेमंद है। पिछड़े लोगों को आगे लाने का ये बेहतर तरीका है।
साथ ही नीतीश कुमार ने कहा कि 2011 में जो जातीय जनगणना हुई थी, वो जातीय जनगणना थी ही नहीं। वो आर्थिक आधारित जातीय जनगणना थी, जिसमें कई गलतियां थीं, इसलिए उसे प्रसारित नहीं किया गया था। केंद्र सरकार अगर सबका विकास चाहती है तो जातीय जनगणना कराए। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर एक बार फिर मिलकर सभी बातों को साफ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम राज्य स्तर पर अपने सभी दलों के साथ एक बार फिर से मीटिंग कर इस पर विचार करेंगे। इशारों में ये भी संकेत दे दिए कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना नहीं कराएगी तो बिहार सरकार सभी दलों के साथ मीटिंग कर अपना खुद का जातीय जनगणना करा लेगी।