NEWSPR डेस्क। पटना बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल लंबी होती दिख रही है. हड़ताल के आठवें दिन भी बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर अपनी जिद पर अड़े हैं. डॉक्टरों की हड़ताल से अब मरीजों का भी सिस्टम से भरोसा उठता जा रहा है. सबसे ज्यादा बुरे हालात पटना के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच के हैं. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का इस कदर बुरा प्रभाव पड़ा है कि पीएमसीएच के हथुआ वार्ड में 90% बेड खाली हो गए हैं. अस्पताल के इस वार्ड में मात्र 10% ऐसे मरीज बैठे हैं जिन्हें डॉक्टरों के आने का इंतजार है.
सबसे फ्लॉप रहे वर्तमान अधीक्षक –
PMCH के इतिहास में सबसे फ्लॉप अधीक्षक के रूप में वर्तमान अधीक्षक विमल कारक साबित हो रहे हैं. चुनौतियों से निपटने के लिए अब तक उनके पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. सरकारी फाइलों में ही हड़ताल से निपटने की उनकी पूरी तैयारी धरी की धरी रह गई है.
NEWSPR के रिपोर्टर से भी 2 मरीजों के परिजनों ने मदद की गुहार लगाई है. हालांकि NEWSPR टीम की भी अपनी बेबसी है. उस दृश्य को वार्ड में जाकर हमारी टीम नहीं दिखा सकती, क्योंकि अधीक्षक विमल कारक ने कैमरे पर भी पाबंदी लगा दी है.
गौरतलब है कि राज्यभर के जूनियर डॉक्टर लगभग एक सप्ताह से हड़ताल पर हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के बयान के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया है. जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड की मांग पर अड़े हुए हैं, तो दूसरी ओर बिहार सरकार भी अपनी जिद पर है. बहरहाल इन दोनों की लड़ाई में गरीब तबके के लोग पीस रहे है.
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से जहां स्वास्थ सेवा पूरी तरह से प्रभावित है वही ऑपरेशन समेत अन्य सेवाएं भी बाधित हैं. अस्पताल के अधिकांश वार्ड नर्सों की जिम्में हैं तो वहीं अस्पताल में पहले से भर्ती मरीजों का इलाज भी अब भगवान भरोसे ही चल रहा है. अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल से सबसे बुरा असर उन मरीजों का है जिनका ऑपरेशन होना है, ऐसे में उन मरीजों का ना तो ऑपरेशन हो पा रहा है और ना ही सही समय से ड्रेसिंग, ऐसे में इलाज के लिए ज्यादातर मरीज निजी अस्पतालों की ओर पलायन कर गए हैं.
पटना पीएमसीएच में अब तक डॉक्टरों की हड़ताल से 100 से अधिक मरीजों के ऑपरेशन टल गए हैं तो वहीं कईयों को मौत के मुंह में भी जाना पड़ा है. दरअसल बिहार में जूनियर डॉक्टर पिछले 8 दिनों से स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं. सरकार और उनके बीच अभी हड़ताल को तोड़ने को लेकर सफल वार्ता नहीं हो सकी है, ऐसे में इसका बुरा प्रभाव पूरे बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ रहा है. बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी सीएम नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से इस मामले में हस्तक्षेप करने और हड़ताल को जल्द से जल्द खत्म कराने की मांग की.
पटना से विक्रांत के साथ चंद्रमोहन की रिपोर्ट…