NEWSPR डेस्क। पटना गायघाट से 23 नवंबर को गिरफ्तार बस खलासी राजेश पांडेय की रविवार को हुई मौत मामले की जांच शुरू हो गई है। कारा व उत्पाद विभाग ही नहीं, पीएमसीएच के डॉक्टर से लेकर जांच करने पहुंचे अधिकारी तक पिटाई नहीं होने की बात कह रहे हैं। हालांकि अधिकारी मौत के कारणों को स्पष्ट नहीं कर रहे हैं। उत्पाद आयुक्त ने मामले की जांच कराने का निर्देश दिया है। सोमवार को विभाग के संयुक्त आयुक्त कृष्णा पासवान व संयुक्त सचिव समाहरणालय परिसर स्थित जिला उत्पाद कार्यालय पहुंचे। विभाग की हाजत का निरीक्षण किया।
राजेश पांडेय पर दर्ज मुकदमे की फाइल व न्यायालय द्वारा जेल भेजे जाने का आदेश देखा। जेल गेट से मिली रिसिविंग की जांच की। उसी वक्त गिरफ्तार किए गए चंचल चौधरी से भी बात की। दो दिनों तक हाजत में रखे जाने पर सहायक उत्पाद आयुक्त ने कहा कि 23 नवंबर को गिरफ्तार किया गया और 24 की सुबह कोरोना जांच कराई गई। रिपोर्ट निगेटिव आने पर उसे स्पेशल मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पेश करने के बाद 6.55 बजे शाम को फुलवारी जेल में भेजा गया। उसके बाद जांच करने कारा निदेशक बेउर जेल पहुंचे। निदेशक ने एक घंटे तक काराधीक्षक सत्येंद्र प्रसाद और फुलवारी जेल के जेलर और डॉक्टर से बात की। किसी ने भी पिटाई की पुष्टि नहीं की।
जेल चिकित्सक भी मानते हैं कि 25 की सुबह से ही जेल अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। उनसे पूछा गया कि उसे बीमारी क्या थी और कौन-कौन सी दवा चलाई गई? बीमारी के बारे में तो जवाब नहीं मिला, पर एंटीबायोटिक चलाने की बात कही। पीएमसीएच के इमरजेंसी प्रभारी डॉ. अभिजीत ने भी यही दवा चलाने की बात कही। मृतक राजेश की बहन किरण ने सहायक उत्पाद आयुक्त के बयान का खंडन करते हुए कहा कि उसके भाई को शराब की लत नहीं थी। वह शराब का अवैध धंधा नहीं करता था।
पटना से विक्रांत कि रिपोर्ट…