गोवा सिटी बना रही पल्लवी राज कंस्ट्रक्शन की दो टूक, जो उचित होगा वही किया जाएगा

Sanjeev Shrivastava

पटना : हर आदमी के घर का सपना हो पूरा, इसके लिए पल्लवी राज कंस्ट्रक्शन पहले से काम करते आ रही है। लेकिन आपसी विवाद का नतीजा है कि इस कंपनी के ऊपर रेरा को आंख तरेरनी पड़ी है। कंपनी के निदेशक की मानें तो जो भी विज्ञापन अखबार में दिया गया है, इसका मकसद किसी के साथ घपला करना नहीं है बल्कि आम आवाम और सरकारी स्तर के सभी माध्यमों को इसकी जानकारी हो सके.
यह स्वाभाविक है कि कंपनी अगर गलत राह अपनाने की बात सोचती तो चुपके से काम करती न कि अख़बारों में विज्ञापन देती. अगर रेरा के तरफ से कंपनी को नोटिस मिला है तो उस संदर्भ में साक्ष्य प्रस्तुत कर अपनी बातों को रखा जाएगा। इस कंपनी की नीति साफ है. कंपनी ने किसी खास व्यक्ति के लाभ को ध्यान में रखकर कदम नहीं उठाया गया है. बल्कि आम जनता के हित को ध्यान में रखकर ही कदम बढ़ाया गया है। कंपनी जब काम करेगी तो जाहिर सी बात है मुश्किलें आएंगी।
रेरा को कंपनी का आवेदनः
पल्लवी राज कंस्ट्रक्शन ने रेरा में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया है। इस काम में थोड़ा समय लगता है। क्योंकि रेरा भी अपने तरीके से जांच पड़ताल करती है। अब ऐसी परिस्थिति में काम में थोड़ी देर तो होती है। इस लिहाज से कंपनी ने अपना आवेदन देकर भूमि पूजन की तिथि को निर्धारित किया है। 27 फरवरी 2021 को इसके लिए समय निर्धारित किया गया है। अब ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार का आर्थिक आरोप लगाया जाना किसी भी हद से जायज प्रतीत नहीं होता है।
आरोप लगाना कितना जायजः
कंपनी के ऊपर कई तरह के आरोप मढ़े गए हैं, जो किसी भी तरीके से न्यायिक प्रतीत नहीं होता है। हां, बात सही है कि रेरा प्रबंधन किसी भी समय कंपनी से सवाल-जवाब कर सकती है। रेरा प्रबंधन की सारी बातों का उचित जवाब देना कंपनी का मूल दायित्व भी है। अगर किसी प्रकार की त्रुटि होगी तो कंपनी उसको फॉलो करते हुए उसमें सुधार जरुर करेगी। किसी भी कंपनी या संस्थान पर आरोप लगाने से पहले अथवा किसी भी खबर को प्रस्तुत किए जाने से पहले कंपनी प्रबंधन का भी मंतव्य लिया जाना चाहिए।
रेरा एक्टः ग्राहकों का निवेश बढ़ाना, उनके हितों की रक्षा करनाः
रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट 2016 (RERA) एक कानून है, जिसे भारतीय संसद ने पास किया था। रेरा का मकसद रियल एस्टेट सेक्टर में ग्राहकों का निवेश बढ़ाना और उनके हितों की रक्षा करना है। 10 मार्च 2016 को राज्यसभा ने रेरा बिल को पास किया था। इसके बाद 15 मार्च 2016 को लोकसभा ने इसे पास किया। बिहार सरकार अपना खुद का कानून लेकर आई और 28 अप्रैल, 2017 को बिहार रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) नियम, 2017 को अधिसूचित किया. 13 मई 2020 तक, बिहार रेरा में 833 अप्रूव्ड प्रोजेक्ट्स हैं। 31 जुलाई, 2017 को 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) ने अपने स्थायी और अंतिम रेगुलेटरी अथॉरिटी की स्थापना की। RERA के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में खुद का रेगुलेटर होना चाहिए। जब तक बिल्डर अपना मौजूदा या आने वाला प्रोजेक्ट राज्यों के स्थायी या अंतरिम रेगुलेटर में रजिस्टर्ड नहीं कर देते, वे उसका प्रचार नहीं कर सकते।
पल्लवी राज कंस्ट्रक्शन कंपनी सरकार के मानदंडों का पालन करते हुए गोवा सिटी का भी निर्माण कर रही है। इसके लिए उसने पहले ही रेरा में आवेदन कर रखा है। इस दरम्यान कंपनी केवल भूमि पूजन करके अपने प्रोजेक्ट का प्रचार-प्रसार करने के लिए काम कर रही है। इसी बीच कुछ तथाकथित लोगों के अपने फायदे का नतीजा है कि इस तरह का आरोप लगाया गया है। हलांकि रेरा के तरफ से जो सूचना आयी है उसके आलोक में कंपनी प्रबंधन के लोग मिलकर अपनी बातों को रखते हुए, जो भी गाईडलाइन है उसको पालन करते हुए अपने प्रोजेक्ट के कार्य को गति देने का काम करेंगे।

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