NEWSPR डेस्क। पटना पटना उच्च न्यायालय ने बक्सर सेंट्रल जेल के डीएम, एसपी और अधीक्षक समन किया है। दोनों को जेल परिसर के अंदर स्थित एक पौराणिक भगवान वामन मंदिर में श्रद्धालुओं की दैनिक यात्रा के कारण पैदा होने वाले खतरे को लेकर जानकारी प्रस्तुत करने के लिए तलब किया गया है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने नवोदय विद्यालय के एक रिटायर टीचर बिमला शंकर मिश्रा की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को यह आदेश पारित किया गया। इन अधिकारियों को 29 नवंबर को अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करनी है।
याचिकाकर्ता ने पूरे मंदिर के ढांचे को जेल परिसर से अलग कर घेरने और मंदिर प्रबंधन को बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSBRT) को सौंपने की प्रार्थना की है। बिहार में धार्मिक न्यास बोर्ड ही सभी सार्वजनिक धार्मिक स्थलों के प्रबंधन, संरक्षण और सुरक्षा के लिए गठित एक सांविधिक निकाय है। अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) अंजनी कुमार ने जेल में सुरक्षा खतरों के आधार पर जनहित याचिका में की गई प्रार्थनाओं पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि जेल अधीक्षक की अध्यक्षता में पहले से ही एक समिति थी जो जेल के दिन-प्रतिदिन के मामलों के प्रबंधन के लिए थी।
कुमार ने तर्क दिया कि ‘जहानाबाद में माओवादियों का जेल ब्रेक प्रकरण भी था और चूंकि कट्टर अपराधी, यहां तक कि राज्य के बाहर के राष्ट्र-विरोधी अपराधों के आरोपी भी बक्सर जेल के अंदर रखे गए हैं, वहां की सुरक्षा को कमजोर नहीं किया जा सकता है।’ उन्होंने जेल के अंदर धार्मिक स्थलों पर बीएसबीआरटी के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया। एएजी की प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए, उच्च न्यायालय ने उपयुक्त व्यक्तियों और प्रतिष्ठित सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल करने पर बातचीत करने के लिए संबंधित अधिकारियों को बुलाया, ताकि मंदिर को बड़े पैमाने पर जनता के लिए सुलभ बनाने के लिए प्रबंध समिति का गठन किया जा सके।