पटना की हवाओं में अब सिर्फ़ मौसम की उमस या बरसात की बूंदें नहीं, बल्कि एक नए युग का संकेत गूंज रहा है — मेट्रो के पहियों की गूंज, जो राजधानी को नई दिशा और गति देने वाली है।
पटना मेट्रो रेल परियोजना का पहला चरण अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। 15 अगस्त को मेट्रो के पहले ट्रायल रन की योजना पर ज़ोर-शोर से काम हो रहा है। इस अभियान की कमान पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने मिलकर संभाली है।
योजना के तहत, न्यू पाटलिपुत्र बस टर्मिनल (आईएसबीटी) से लेकर मलाही पकड़ी तक करीब 6.1 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर को तैयार किया जा रहा है। इस मार्ग में भूतनाथ, जीरो माइल और खेमनीचक जैसे अहम स्टेशन शामिल हैं। मगर मौजूदा हालात यह बताते हैं कि मेट्रो की शुरुआत सिर्फ़ आईएसबीटी से भूतनाथ तक सीमित रह सकती है — यानी केवल 3 किलोमीटर का दायरा।
आईएसबीटी स्टेशन को मेट्रो लाइन से जोड़ने में तकनीकी बाधाएं सामने आई हैं, वहीं भूतनाथ और जीरो माइल स्टेशनों पर फिनिशिंग का कार्य तेज़ी से जारी है। इन स्टेशनों को आधुनिक प्री-फैब्रिकेटेड तकनीक से तैयार किया गया है, जिससे निर्माण की रफ्तार बढ़ाई जा सके।
खेमनीचक सेक्शन अब भी अधूरा है — यही वह स्टेशन है जहां से मीठापुर और मलाही पकड़ी की ओर दो कॉरिडोर निकलते हैं। वहीं जीरो माइल से आईएसबीटी की दिशा में नेशनल हाईवे पार करने वाली लाइन अभी तैयार नहीं हो पाई है। दूसरी ओर, मलाही पकड़ी स्टेशन लगभग तैयार है, लेकिन अंतिम टच अभी बाकी है।
इन तमाम अड़चनों के बावजूद, आईएसबीटी से भूतनाथ डिपो तक ट्रैक बिछाने, वायरिंग और पॉवर सप्लाई का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। कोशिश यही है कि 15 अगस्त को मेट्रो का पहला ट्रायल रन ‘आज़ादी की रेल’ बनकर राजधानी की धरती पर उतरे।
हालांकि पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अंदरूनी तैयारियां कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं। “आजादी का अमृत महोत्सव” यादगार बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
पटना की जनता जो सालों से इस परियोजना का इंतज़ार कर रही थी, अब जब वह सपना हक़ीक़त बनने को है, तो अधूरे निर्माण और अपूर्ण संपर्क इसकी गंभीरता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।