प्रसन्नता कि बात है की भारत तिब्बत मैत्री संघ बिहार और जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना के संयुक्त तत्वावधान में तिब्बत मुक्ति साधना और भारत चीन संबंध के ऊपर में 17 नवंबर 2024 को सेमिनार के दूसरे दिन का शुभारंभ भारत-तिब्बत मैत्री संघ, बिहार के अध्यक्ष डॉ. हरेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में सत्र का संचालन प्रो. उमेश नीरज के द्वारा हुआ, जिसमें बिहार के विभिन्न जिलों से आये हुए छात्र एवं युवा प्रतिनिधियों के नेता प्रशांत गौतम के उद्बोधन से प्रारंभ हुआ।
जिसमें विभिन्न जिलों जैसे- बेगुसराय, जहानाबाद, गया, फारबिसगंज, नवादा, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चंपारण, वैशाली, भोजपुर, रोहतास, एवं नालंदा के प्रतिनिधियों ने अपने संगठन संबंधी चर्चा की। जिसमें सीतामढ़ी के नागेन्द्र प्रसाद सिंह, शिवहर के डॉ. ब्रजेश शर्मा, श्याम विनय सिंह, बेगुसराय के सोमेश चौधरी आदि लोगों ने अपने विचार को रखा तथा सर्वसम्मति से निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किये गये- परम पावन दलाई लामा को सर्वोच्च शिखर सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाय। भारत के संसद द्वारा चीन के द्वारा अधिगृहित भूमि को मुक्त करने की मांग की गई। लद्दाख में रोज हो रहे अतिक्रमण जो चीन के द्वारा किया जा रहा है, उसकी निंदा करते हैं तथा हिमालय नीति बनाने की मांग करते हैं। बिहार सरकार से अनुरोध है कि परम पावन दलाई लामा को बिहार विधान मंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया जाय। चीनी सामग्रियों का बहिष्कार किया जाय। बिहार एवं झारखंड से प्राप्त बौद्ध अवशेषों को संरक्षित किया जाय। आगामी 10 दिसम्बर, 2024 को मानवाधिकार दिवस और आगामी 10 मार्च, 2025 को जनक्रांति दिवस को प्रत्येक जिला में आयोजित करने का निर्णय लिया गया। छात्र एवं युवाओं के बीच ज्यादा से ज्यादा संगठन विस्तार करने का निर्णय लिया जाय। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को बधाई के साथ अनुरोध करते हैं कि परम पावन दलाई लामा को बोध गया में बौद्ध संस्थान के लिए जमीन उपलब्ध कराये।समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी सहजानंद सरस्वती ट्रस्ट के डॉ. सत्यजीत सिन्हा, भारत-तिब्बत मैत्री संघ के महासचिव मनोज कुमार, भारत-तिब्बत मैत्री संघ, बिहार के अध्यक्ष डॉ. हरेन्द्र कुमार, प्रो. हितेन्द्र पटेल, डॉ. मार्टिना, उमा घोष एवं तिब्बत के दो सांसद ने भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के निदेशक डॉ. नरेन्द्र पाठक ने किया.