बिहार सरकार ने राज्य के न्यायालयों में लंबित 18 लाख से अधिक मामलों के निपटान को तेज करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने अभियोजन इकाई का पुनर्गठन किया और 760 नए लोक अभियोजक पदों को मंजूरी दी। इससे पहले राज्य में अभियोजन पदों की संख्या 1440 थी, जो नए पदों के जुड़ने के बाद बढ़कर 2200 हो गई है।
हर न्यायालय में होगी अभियोजक तैनाती
इस पहल से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार हर न्यायालय में कम से कम एक अभियोजक की तैनाती सुनिश्चित होगी। नए कानून बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) के तहत मामलों का निष्पादन अब तेजी से किया जा सकेगा।
पदों का रैंक और संरचना
- जिला अभियोजन पदाधिकारी को अब मुख्य अभियोजक का दर्जा
- अनुमंडल अभियोजन पदाधिकारी / अपर लोक अभियोजक को अपर मुख्य अभियोजक का दर्जा
- जूनियर पदाधिकारी होंगे सहायक अभियोजक या अभियोजन पदाधिकारी
नवसृजित पदों का विवरण:
- राज्य स्तर पर अभियोजन निदेशालय: 12 पद
- जिला अभियोजन निदेशालय: 190 पद
- न्यायालयों में अभियोजन संचालन: 424 पद (70 सहायक अभियोजक + 354 अभियोजन पदाधिकारी)
अभियोजन पदाधिकारियों की भूमिका
अभियोजन पदाधिकारी अपराधियों के खिलाफ साक्ष्य पेश कर पीड़ितों को न्याय दिलाने में अदालत की मदद करते हैं। वे आरोप पत्र, फॉरेंसिक रिपोर्ट और गवाहों के बयानों की समीक्षा करते हैं, अदालत में दस्तावेज पेश करते हैं और पुलिस को आवश्यक कानूनी सलाह देते हैं।
अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग अरविंद कुमार चौधरी का कहना है कि पदों की संख्या बढ़ने से लंबित मामलों का निपटान तेजी से होगा और अपराधियों को जल्द सजा मिलेगी।
वरिष्ठ अभियोजकों की नई तैनाती
पहली बार वरिष्ठ अभियोजकों को पुलिस मुख्यालय, सीआईडी, एटीएस, बीपीएससी, ईओयू, सुधार सेवाएं निरीक्षणालय, खान एवं भूतत्व विभाग और हाजीपुर के बिहार सुधारात्मक प्रशासनिक संस्थान में तैनात किया जाएगा।
इस पहल से अभियोजन शक्ति में डेढ़ गुना वृद्धि हुई है, जिससे न्यायालयों में लंबित मामलों के निपटान और न्याय प्रक्रिया दोनों में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।