बिहार के सीमांचल क्षेत्र में आवागमन को सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। पथ निर्माण विभाग ने बलुआ-जोकीहाट मार्ग को स्टेट हाईवे में अपग्रेड करने की स्वीकृति दे दी है। अब यह सड़क टू-लेन इंटरमीडिएट लेन के रूप में विकसित की जाएगी, जिसकी चौड़ाई 5.5 मीटर (18.04 फीट) होगी।
जोकीहाट विधायक शाहनवाज आलम ने इस विकास की जानकारी देते हुए बताया कि यह सड़क अररिया जिले के अमौर प्रखंड स्थित गेरुआ चौक से शुरू होकर नेपाल सीमा तक जाएगी। इसका मार्ग दलमालपुर, बलुआ, चकई, मटियारी, जोकीहाट, पलासी और कलियागंज जैसे क्षेत्रों से होकर गुजरेगा। कुल लंबाई 66 किलोमीटर तय की गई है।
दशकों पुरानी मांग को मिली मंजूरी
जोकीहाट के बलुआ चौक से नगर पंचायत क्षेत्र तक यह सड़क लंबे समय से संकरी और जर्जर अवस्था में थी। इससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। अब सड़क के स्टेट हाइवे में बदलने से न केवल यह चौड़ी और मजबूत होगी, बल्कि यात्रा भी सुरक्षित और तेज होगी।
विधायक शाहनवाज आलम ने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे को कई बार विधानसभा में उठाया और पथ निर्माण विभाग के मंत्री व अधिकारियों से मुलाकात कर इस पर सहमति प्राप्त की। इसके बाद विभाग के अपर मुख्य सचिव और क्षेत्रीय मुख्य अभियंता ने इस सड़क को मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड (MDR) से स्टेट हाइवे में उन्नत करने की प्राथमिक मंजूरी दे दी है।
परियोजना की मुख्य जानकारी:
- लंबाई: 66 किमी (गेरुआ चौक से नेपाल सीमा तक)
- चौड़ाई: 5.5 मीटर (2 लेन)
- रूट: गेरुआ चौक, दलमालपुर, बलुआ, चकई, मटियारी, जोकीहाट, पलासी, कलियागंज
- जिले लाभान्वित: अररिया, किशनगंज, पूर्णिया
- प्रबंधन: बिहार पथ निर्माण विभाग
- स्थिति: प्राथमिक स्वीकृति प्राप्त, जल्द शुरू होगी भूमि अधिग्रहण और निर्माण की प्रक्रिया
सीमांचल को मिलेगा आवागमन और व्यापार में बढ़ावा
यह सड़क परियोजना न केवल सीमांचल क्षेत्र की कनेक्टिविटी को मजबूती देगी, बल्कि नेपाल सीमा के साथ व्यापार और परिवहन को भी आसान बनाएगी। इससे अररिया, किशनगंज और पूर्णिया के निवासियों को स्थानीय बाजारों, स्वास्थ्य सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंचने में सुविधा होगी।
सड़क के जरिए NH-327E (सुपौल से सिलीगुड़ी) और NH-27 (पूर्णिया से मुजफ्फरपुर) जैसे राष्ट्रीय राजमार्गों से बेहतर जुड़ाव सुनिश्चित किया जा सकेगा।
आर्थिक विकास और रोजगार की दिशा में सहायक
सड़क परियोजना बिहार सरकार के सात निश्चय-2 और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 2025-30 तक एक करोड़ रोजगार सृजन के लक्ष्य के तहत लाई गई है। बेहतर सड़कें औद्योगिक इकाइयों को आकर्षित करती हैं, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलते हैं और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को गति मिलती है।
भविष्य की चुनौतियाँ और तैयारी
हालांकि, पूर्व में अररिया और किशनगंज जैसे इलाकों में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण को लेकर विवाद सामने आ चुके हैं। ऐसे में इस परियोजना के दौरान स्थानीय प्रशासन को पारदर्शिता बरतते हुए प्रभावित किसानों को समुचित मुआवजा समय पर सुनिश्चित करना होगा। साथ ही मानसून और बाढ़ की संभावित चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए निर्माण की योजना बनानी होगी।