NEWSPR DESK: बिहार पुलिस के सुपर कॉप्स में शामिल नैय्यर हसनैन खान के लेटर से बिहार की सियासत तेज हो गई है. विपक्ष इसे साजिश बता रहा है, तो पक्ष इस लेटर को सही ठहरा रहा है. अब ऐसे में सवाल खड़ा ये हो रहा है कि आखिर किसके दबाव में आकर एडीजी नैय्यर हसनैन खान जैसे सुलझे अधिकारी ने सोशल मीडिया को लेकर ऐसा लेटर जारी किया है. जबकि सबको मालूम है कि ऐसे मामले अक्सर राजनीतिक पार्टियों के बीच देखे जाते हैं. खुद हसनैन साहब भी इस बात को बखूबी समझते हैं.
तो क्या आलोचनाओं से डर लग रहा है:-
रूपेश सिंह हत्याकांड और उसके बाद बिहार पुलिस की फजीहत, फिर अपराध के ऊपर सवाल जवाब के दौरान पत्रकारों के सामने नीतीश कुमार की झल्लाहट से तो साफ-साफ यही झलक रहा है कि सरकार और पुलिस दोनों को आलोचना पसंद नहीं है, यानी ये दोनों अपने निंदक को भी नियरे नहीं रखना चाहते. जो लोकतंत्र के लिए घातक है.
गौरतलब है कि हम उस दौर में हैं, जो डिजिटल मीडिया के बगैर अधूरा है. चाहकर भी दूरी नहीं बना सकते. फिर ऐसे में इन बेतुके फरमानों का क्या अर्थ. जो लोग आज इसपर नकेल कसने की बात कह रहे हैं, इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो सबसे ज्यादा गुनहगार इस मामले में नेता और पुलिस वाले ही हैं.