पिता को थप्पड़ मारा था पुलिसवाले ने, बेटे ने जज बनकर दिया जवाब… ये कहानी फिल्मी नहीं हकीकत है

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। सहरसा/नई दिल्ली ‘ठुकरा के मेरा प्यार मेरा इंतकाम देखेगी’ आपने ये गाना और इससे जुड़े सीन कई सोशल मीडिया और फिल्मों में देखे होंगे। जब एक लड़की लड़के की बेरोजगारी की वजह से उससे शादी करने से इनकार कर देती है। फिर लड़का यूपीएससी क्वॉलिफाई कर आईएएस बन जाता है और अपनी मुहब्बत का इंतकाम लेता है। एक कहावत भी है कि जब बिहारी का दिल टूट जाता है तो वो यूपीएससी पास करता है। लेकिन ये कहानी फिल्मी नहीं बल्कि हकीकत है। ये कहानी यूपी के मशहूर आईपीएस नवनीत सिकेरा से मिलती जुलती है जिनके पिता के अपमान की वजह से उन्होंने UPSC पास कर आईपीएस रैंक चुना। बिहार के कमलेश ने इससे भी दो कदम आगे का काम किया है।

पिता के थप्पड़ का जवाब
बिहार में सहरसा जिले के निवासी कमलेश ने बिहार की ज्यूडिशयरी के इम्तिहान में 64वीं रैंक हासिल की है। कमलेश बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता ने उन्हें पढ़ाने के लिए कुली, मजदूर के काम से लेकर ठेला तक लगाया। इसी दौरान एक पुलिसवाले ने कमलेश के पिता को थप्पड़ मार दिया। ये बात कमलेश के सीने में अंदर तक चुभ गई। कमलेश ने इसका जवाब देने की ठान ली और आखिर में जज बनकर वो जवाब दिया भी।

कमलेश का परिवार बेहद ही गरीब था। घर की हालत सुधारने के लिए पिता काम की तलाश में परिवार के साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली आ गए। सर पर छत नहीं थी तो उन्होंने झुग्गी को अपना आशियाना बनाया। लेकिन यहां भी बदकिस्मती ने उनका पीछा नहीं छोड़ा, दिल्ली नगर निगम ने उनका आशियाना यानि लाल किले के पीछे की सभी झुग्गी झोपड़ियों को हटा दिया। इसके बाद कमलेश के पिता परिवार समेत ट्रांस यमुना में एक घर में किराए पर रहने लगे। ये वो वक्त था जब कमलेश दसवीं पास कर चुके थे।

कमलेश के पिता ने घर चलाने के लिए चांदनी चौक पर खाने का ठेला लगाना शुरू किया। उसी वक्त एक पुलिसवाला वहां आया और उनसे ठेला हटाने को कहा। इसके बाद पुलिसवाले ने कमलेश के पिता को थप्पड़ मार दिया और उनकी दुकान बंद करा दी। इसी घटना ने कमलेश के जीवन को बदलकर रख दिया। घर में थप्पड़ की बात चलते ही पिता ने कहा कि पुलिस को सिर्फ जज का डर होता है। ये बात कमलेश के मन में घर कर गई।

कमलेश ने इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई शुरू की। लेकिन ये भी तय कर लिया कि उन्हें वकील नहीं बल्कि जज बनना है। कमलेश ने जो लक्ष्य तय किया था उसकी तरफ वो बेहद खामोशी से बढ़ते रहे। आखिर में साल 2017 में उन्होंने बिहार ज्यूडिशयरी के इम्तेहान की तैयारी शुरू की। पहली बार में वो नाकाम हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारी। कोरोना काल में भी उनका समय जाया हुआ, लेकिन इस साल यानि 2022 में उन्होंने वो कर दिखाया जिसका सपना देखा था। कमलेश अब जज बन चुके हैं और अपने जैसे युवकों के लिए नजीर भी।

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