NEWSPR /DESK : कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है। केरल, तमिलनाडु सहित पूर्वोत्तर राज्यों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले इसकी तस्दीक भी कर रहे हैं। इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल की ताजा रिपोर्ट कहती है कि कोरोना की तीसरी लहर अगस्त में पीक पर हो सकती है। इससे पहले एसबीआई की रिपोर्ट में भी संभावना जताई गई थी कि कोरोना की तीसरी लहर दूसरी लहर के मुकाबले 1.7 गुना ज्यादा खतरनाक होगी। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर अलग-अलग राज्यों में तैयारी की जा रही है। पर झारखंड में स्थिति क्या है l
दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से परेशानी
कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी सबसे बड़ी परेशानी बनी थी। सरकारी स्तर पर ऑक्सीजन का जो इंतजाम किया गया था, वो नाकाफी था। बाद में समाजसेवी, सामाजिक संस्था और लोगों ने व्यक्तिगत तौर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति की। बावजूद इसके बड़ी संख्या में लोग ऑक्सीजन की कमी से मारे गए। दूसरी लहर में लोग बेड और दवाइयों की कमी की वजह से मरे। ऐसे सैकड़ों उदाहरण मिलेंगे जब पोस्ट कोविड समस्या जैसे की ब्लैक फंगस की वजह से लोगों की जान गई। रिम्स में जान गंवाने वाली पुष्पा देवी की कहानी किसी से छिपी नहीं है। हालात ये थे कि उनके बच्चों ने इच्छामृत्यु तक की मांग की थी l
पीएम केयर फंड से लगाया जाना है ऑक्सीजन प्लांट
गौरतलब है कि तीसरी लहर से निपटने के लिए पूरे देश में पीएम केयर फंड से ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसला किया गया। सभी राज्यों को ऑक्सीजन प्लांट का तय कोटा दिया गया है। झारखंड में भी पीएम केयर फंड से 38 औऱ अन्य स्त्रोतों से 10 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बात है। स्वास्थ्य विभाग ने लक्ष्य तय किया था कि 30 जुलाई तक सभी ऑक्सीजन प्लांट लगा दिए जाएंगे। लेकिन इसकी हकीकत क्या है. ये जानना जरूरी है। झारखंड में छह प्लांट के लिए पहले तय की गई जगह बदल दी गई है। इसकी वजह ये बताई गई कि जिन जगहों पर पीएम केयर फंड से ऑक्सीजन प्लांट लगाने का प्रस्ताव भेजा गया था, वहां पहले से ही किसी अन्य स्त्रोत से ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं l
झारखंड में ऑक्जीन प्लांट का स्थान ही तय नहीं है
चलिए ये भी जान लीजिए कि वो कौन से स्थान हैं जहां पहले ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाना था लेकिन अब उसे बदल दिया गया। चतरा में पहले सीएचसी इटखोरी में प्लांट लगना था लेकिन बाद में इसे सदर अस्पताल चतरा में लगाने का फैसला किया गया। रामगढ़ में भी ऐसा ही हुआ। यहां पहले सीसीएल अस्पताल का चयन ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए किया गया था। अब ये ऑक्सीजन प्लांट सदर अस्पताल रामगढ़ में बनेगा। बोकारो में भी ऐसा ही हुआ। यहां पहले जनरल हॉस्पिटल में ऑक्सीजन प्लांट लगना था, ये भी अब सदर अस्पताल बोकारो में बनेगा। साहिबगंज में पहले एसडी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन प्लांट प्रस्तावित था, लेकिन और जिला अस्पताल साहिबगंज में ऑक्सीजन प्लांट लगाना जाएगा। यही नहीं, स्वास्थ्य विभाग ने बीते शनिवार को दो और ऑक्सीजन प्लांट की जगह बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। सिंहभूम में सीएचसी खूंटापानी में ऑक्सीजन प्लांट प्रस्तावित ऑक्सीजन प्लांट अब सीएचसी कुमारडुंगी में बनेगा। वहीं जामताड़ा सदर अस्पताल में बनने वाला ऑक्सीजन प्लांट सीएचसी मिहिजाम में बनेगा l
ऑक्सीजन प्लांट लगाने के काम की रफ्तार काफी धीमी
इन छह जिलों के अलावा बाकी जिलों में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम काफी धीमी गति से चल रहा है। कोई भी जिला ऐसा नहीं है जहां ऑक्सीजन प्लांट का काम अधूरा ना हो। गौरतलब है कि राज्य में 38 ऑक्सीजन प्लांट लगाने का जिम्मा 3 संस्थानों को दिया गया है। इनमें डीआरडीओ को 29 प्लांट्स की जिम्मेदारी दी गई है। 10 अन्य ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण जिला फंड और एनजीओ की सहायता से किया जाना है। जिन चार जिलों में ऑक्सीजन प्लांट के स्थान का बदलाव किया गया है वहां प्लांट लगाने का काम फिलहाल प्रारंभिक चरण में ही जबकि मंजूरी पांच जुलाई को ही मिल चुकी है l
कोरोना की दूसरी लहर से ज्यादा घातक होगी तीसरी लहर
गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत फऱवरी महीने से हुई थी। अप्रैल महीने में रोजाना मिलने वाले केस की संख्या ने पहली लहर का रिकॉर्ड तोड़ दिया। मई महीने के शुरुआती सप्ताह तक रोजाना 4 लाख से ज्यादा संक्रमित मिले। इस दरम्यान मृतकों की संख्या तेजी से बढ़ी। जून महीने के मध्य तक रोजोना 4 हजार के करीब लोगों ने जान गंवाई। हालात यहां तक आ पहुंचे कि कोरोना से सर्वाधिक मौत के मामले में भारत अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया l
जानिए, झारखंड में कोरोना संक्रमण का ताजा हालात क्या है
झारखंड में बीते 24 घंटे में 32 नए कोरोना मरीज मिले हैं। राजधानी रांची से सर्वाधिक 10 मरीज मिले हैं। 42 लोग ठीक भी हुए हैं। राज्य में अभी 327 एक्टिव कोरोना मरीज हैं। झारखंड में अब तक 3 लाख 46 हजार 649 लोग संक्रमित हो चुके हैं। चिंता की बात ये है कि राज्य में टीकाकरण की रफ्तार काफी धीमी है। हर दूसरे दिन कई जिलों में वैक्सीनेशन सेंटर्स बंद करने पड़ते हैं l