NEWS PR डेस्क। पौष कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को भगवान पार्शवनाथ की जयंती मनाई जाती है। इस बार यह जयंती अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 29 दिसंबर 2021 बुधवार को मनाई जा रही है। जैन धर्म के 24 तीर्थंकर हैं। प्रथम ऋषभनाथ हैं तो अंतिम महावीर स्वामी। भगवान पार्शवनाथ 23वें तीर्थंकर थे। पार्शवनाथ वास्तव में ऐतिहासिक व्यक्ति थे। उनसे पूर्व श्रमण धर्म की धारा को आम जनता में पहचाना नहीं जाता था। पार्शवनाथ से ही श्रमणों को पहचान मिली।
भगवान पार्श्वनाथ का जन्म आज से लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व पौष कृष्ण एकादशी के दिन वाराणसी में हुआ था. उनके पिता अश्वसेन वाराणसी के राजा थे। इनकी माता का नाम ‘वामा’ था। उनका प्रारंभिक जीवन राजकुमार के रूप में व्यतीत हुआ। बता दें, तीर्थंकर बनने से पहले पार्श्वनाथ को नौ पूर्व जन्म लेने पड़े थे। पहले जन्म में ब्राह्मण, दूसरे में हाथी, तीसरे में स्वर्ग के देवता, चौथे में राजा, पांचवें में देव, छठवें जन्म में चक्रवर्ती सम्राट और सातवें जन्म में देवता, आठ में राजा और नौवें जन्म में राजा इंद्र (स्वर्ग) तत्पश्चात दसवें जन्म में उन्हें तीर्थंकर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पूर्व जन्मों के संचित पुण्यों और दसवें जन्म के तप के फलत: वे तीर्थंकर बनें।