लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ इस साल कई परिवारों के लिए दुखद साबित हुआ। 25 से 28 अक्टूबर तक चले इस पर्व के दौरान राज्य के विभिन्न जिलों में पानी में डूबने से 106 से अधिक लोगों की जान चली गई। इनमें कई लोग छठ घाट तैयार करते समय और कुछ अर्घ्य अर्पित करते वक्त हादसे का शिकार हुए।
बिहार में मातम का माहौल
जहां एक ओर श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया की पूजा में लीन थे, वहीं दूसरी तरफ कई घरों में मातम छा गया। हादसों की सबसे अधिक घटनाएं पटना, नालंदा और वैशाली जिलों से सामने आईं।
जिलावार मौतों का आंकड़ा:
- पटना: 11 मौतें
- नालंदा: 8 मौतें
- वैशाली: 7 मौतें
- दरभंगा, मोतिहारी, मधुबनी और सीतामढ़ी जिलों से भी कई हादसों की रिपोर्ट आई है।
उत्तर बिहार में सबसे ज्यादा नुकसान
उत्तर बिहार के कई इलाकों में छठ घाटों पर 24 लोग डूबे, जिनमें से 22 की मौत हो गई, एक व्यक्ति अब भी लापता है, जबकि एक को समय रहते बचा लिया गया।
सुरक्षा पर उठे सवाल
इन घटनाओं ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या छठ जैसे बड़े पर्वों के दौरान प्रशासन की सुरक्षा तैयारियां पर्याप्त हैं? कई जगहों पर घाटों पर रौशनी और सुरक्षा कर्मियों की कमी देखने को मिली।
लोगों की अपील
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि भविष्य में ऐसे हादसे न हों, इसके लिए घाटों पर निगरानी और बचाव दलों की तैनाती बढ़ाई जाए।