ट्रेनें बंद और बसें भी हैं कम, छठ में घर कैसे जायेंगे लोग

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR डेस्क। चार दिवसीय छठ महापर्व 18 नवंबर से शुरू हो जायेगा. बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग इस महापर्व में परिवार के साथ अपने घर जाते हैं. इसकी तैयारी भी लोगों ने शुरू कर दी है, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लग रही है. लोग रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें ट्रेनों व बसों का अग्रिम टिकट नहीं मिल पा रहा है.

छठ को लेकर ट्रेनें पहले की तरह चलेंगी या नहीं इस पर संशय बना है. फिलवक्त दो साप्ताहिक ट्रेनें ही बिहार के लिए चल रही हैं. वहीं, झारखंड से बिहार व दूसरे राज्यों के लिए बसों का परिचालन आठ नवंबर से शुरू होना है. राज्य से करीब 200 बसों को अंतरराज्यीय परमिट है. लेकिन, कोरोना के कारण बस में आधी सवारी ही ले जाने का निर्देश है. यानी बस कहने को तो 200 है, लेकिन सीट 100 बसों के बराबर होंगी.

फिलहाल इंटर स्टेट बसों के परिचालन की अनुमति नहीं है, फिर भी लोग अवैध ढंग से चल रही बसों में चार गुना पैसे देकर राज्य के बाहर जा रहे हैं. हालांकि आठ नवंबर से सरकार ने इंटर स्टेट बसों के परिचालन की अनुमति दे दी है. इसके बाद थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.

टैक्सी से जाने पर बढ़ेगा बोझ
फिलवक्त छोटी कार से जाने पर प्रत्येक दिन के हिसाब से 900 से एक हजार रुपये व प्रति लीटर 10 किमी का माइलेज संचालक यात्रियों से लेते हैं. छोटी कार में अधिकतम तीन यात्री की ही परमिशन है. स्काॅर्पियो, सूमो व इनोवा जैसी गाड़ियों में पांच यात्री तक जा सकते हैं. ऐसे में आम यात्रियों के लिए यह ट्रेन व बस की तुलना में महंगा साबित होगा.

विभागीय कारणों से भी परेशानी
कुछ बसें पर्यटन परमिट पर भी जाती हैं. इसकी संख्या कितनी होगी यह भी अभी क्लियर नहीं है. पर्यटन परमिट चार से सात दिनों का ही होता है. लेकिन, फिलहाल पर्यटन परमिट भी झारखंड में नहीं दिया जा रहा है. इन सबके बीच वाहन के साॅफ्टवेयर में बदलाव नहीं होने के कारण वाहन संचालक रोड टैक्स नहीं दे पा रहे हैं. अंतरराज्यीय बसों का परमिट भी रिन्यूअल नहीं किया जा रहा है. उधर, परिवहन विभाग की ओर से भी कोई तैयारी नहीं दिख रही है. ऐसे में लोगों की परेशानी कैसे दूर होगी, यह सवाल अपने जगह पर कायम है.

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