NEWSPR डेस्क। पटना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फेक कॉल प्रकरण में डीजीपी एसके सिंघल को क्लीन चिट दे दी है। खुद को चीफ जस्टिस बताकर फेक कॉल करने वाले शातिर अभिषेक अग्रवाल के कहने पर DGP ने IPS अधिकारी आदित्य कुमार का केस खत्म कर दिया था। इस मामले में शुक्रवार को सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बेचारे डीजीपी रिटायर होने वाले हैं, उनको गलती का अहसास हो गया तो मामले पर ध्यान नहीं देना चाहिए। ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार ने पहली बार पुलिस महानिदेशक का बचाव किया है। इसके पहले भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का डीजीपी एसके सिंघल के प्रति नरम रुख देखने को मिल चुका है। ताजा मामले में भी अगले दो महीने में रिटायर होने वाले डीजीपी एसके सिंघल के प्रति मुख्यमंत्री ने नरम रुख अख्तियार करते हुए उन्हें क्लीन चिट दे दी है।
आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एक फर्जी आदमी डीजीपी को कॉल कर रहा था लेकिन वो समझ नहीं सके। हालांकि जैसे ही उन्हें सच्चाई का पता चला तो उन्होंने कार्रवाई शुरू कर दी। नीतीश कुमार ने कहा कि DGP एसके सिंघल के कार्यकाल में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति अच्छी है। उन्होंने कहा कि DGP, अभिषेक अग्रवाल के फर्जी कॉल को नहीं पकड़ सके, इस वजह से उनसे कुछ चूक हो गई थी।
मार्च 2022 में पटना से सटे बख्तियारपुर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक युवक ने मुक्के से वार किया था। उस वक्त राष्ट्रीय जनता दल की ओर से यह कहा गया था कि जब बिहार का मुख्यमंत्री ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम आदमी कैसे सुरक्षित रहेगा? आरजेडी की ओर से यह भी कहा गया था कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में चूक की यह बड़ी घटना है। इस पर बिहार के डीजीपी पर कार्रवाई होनी चाहिए। बता दें कि तब बिहार में NDA की सरकार थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हुए हमले के बाद आरजेडी ने डीजीपी पर कार्रवाई किए जाने की मांग पर जनता दल यूनाइटेड के नेताओं ने यह कहा था कि आरजेडी को इस मामले में राजनीति नहीं करनी चाहिए। जदयू की ओर से यह भी कहा गया था कि मुख्यमंत्री ने पुलिस प्रशासन को यह निर्देश दिया है कि मुक्का मारने वाले युवक पर कोई कार्रवाई न करें बल्कि उसके मानसिक स्थिति का इलाज कराएं। यानी सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक होने के बावजूद नीतीश कुमार ने डीजीपी से इस मामले में जवाब तलब तक नहीं किया था। उस वक्त JDU की ओर से यह भी कहा गया था कि RJD जबरन इस मामले में डीजीपी को घसीट रही है।
बख्तियारपुर की घटना से पहले नवंबर 2021 में जब बिहार में एनडीए की सरकार थी। तब चल रहे सत्र के दौरान बिहार विधानसभा के कैंपस में शराब की बोतल मिलने के बाद पुलिस प्रशासन और राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गई थी। उस वक्त नेता प्रतिपक्ष के तौर पर तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर निशाना पर साधते हुए बिहार में शराबबंदी को फेल बताया था। तब राष्ट्रीय जनता दल की ओर से एनडीए की सरकार पर ताबड़तोड़ हमले किए गए। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर यह आरोप लगाया कि सरकार की शह पर पुलिस ही शराब की होम डिलीवरी करवा रही है। इधर, सरकार की किरकिरी होते देख नीतीश कुमार ने विधानसभा कैंपस में शराब की बोतल मिलने की जांच को डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी को सौंप दिया था। जब डीजीपी एसके सिंघल ने जांच शुरू हुई की तो आरजेडी ने विधानसभा परिसर में शराब की बोतल खोजते DGP का एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर चुटकी ली थी। तब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने यह कहा था कि डीजीपी को यह बताना चाहिए कि आखिर कई जिलों से होते हुए और कई थानों की पुलिस से बचते हुए शराब बिहार सीमा से अंदर पहुंचता कैसे है ? उस वक्त भी आरजेडी ने DGP पर कार्रवाई करने की मांग की थी। लेकिन शराबबंदी की पोल खोलने वाली इस घटना के बाद भी नीतीश कुमार ने एसके सिंघल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी।
2020 में विधानसभा चुनाव के पहले बिहार के डीजीपी के पद पर आसीन गुप्तेश्वर पांडे के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी एसके सिंघल जो उस वक्त गृह रक्षा वाहिनी और अग्निशमन सेवा के डीजी थे, उन्हें बिहार पुलिस महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। इसके बाद दिसंबर 2020 में गृह विभाग ने एसके सिंघल को बिहार पुलिस के नए महानिदेशक बनाए जाने की अधिसूचना जारी की थी। आपको बता दें कि एसके सिंघल का कार्यकाल दिसंबर 2022 में समाप्त हो रहा है। पंजाब के रहने वाले एसके सिंघल बिहार में पटना के दानापुर में एएसपी और मुख्यमंत्री के गृह जिला नालंदा के अलावा सीवान, कैमूर, भोजपुर समेत कई जिलों में बतौर एसपी भी काम कर चुके हैं। बता दें कि बिहार के डीजीपी एसके सिंघल का कार्यकाल दिसंबर 2020 में ही समाप्त हो चुका था, लेकिन सरकार द्वारा उन्हें दो साल का सेवा विस्तार दिया गया है। इस कारण अब वह दिसंबर 2022 में रिटायर होंगे।