आखिर गूगल को माफी क्यों मांगनी पड़ी? गुरूवार के दिन ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से कर्नाटक के लोंगो में आक्रोश पैदा हो गया.
जानते है पुरी खबर…
दरअसल गूगल पर ये सर्च करने पर कि ”भारत में सबसे भद्दी भाषा कौन सी है?”
इसके जवाब में गूगल सर्च इंजन पर जवाब आ रहा था ”कन्नड़” इस बात की सूचना जैसे जैसे कन्नड़ भाषियों को लगती गई उन्होंने गूगल से इसे हटाने और माफी मांगने के लिए कहना शुरू कर दिया. इस मामले कई बड़े कन्नड़ नेताओं ने भी अपनी आपत्ति जताई. बंगलुरु सेंट्रल से सांसद पीसी मोहन ने कहा ”विजयनगर साम्राज्य के लिए कन्नड़ भाषा के पास एक समृद्ध विरासत है. विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक कन्नड़ भाषा के महान विद्वानों ने जेफ्री चौसर से भी बहुत पहले महाकाव्य लिख दिए थे. गूगल को माफी मांगनी चाहिए.”
कर्नाटक के कन्नड, संस्कृति और वन मंत्री अरविंद लिंबावली ने संवाददाताओं से कहा कि गूगल को उक्त प्रश्न का यह जवाब देने के लिए कानूनी नोटिस भेजा जाएगा. बाद में मंत्री ने ट्विटर पर अपनी नाराजगी प्रकट की और गूगल से कन्नडिगा लोगों से माफी मांगने को कहा. उन्होंने कहा कि कन्नड भाषा का अपना इतिहास है और यह करीब 2,500 साल पहले अस्तित्व में आई थी. मंत्री ने कहा कि यह भाषा सदियों से कन्नडिगा लोगों के लिए गौरव रही है.
भाजपा के नेशनल जनरल सेक्रेटरी सीटी रवि ने कहा ”जर्मनी के रेव.फर्दिनेंड किटेल (Rev. Ferdinand Kittel) ने चौबीस साल की पढ़ाई के बाद पहली कन्नड़-अंग्रेजी डिक्शनरी इजाद की थी. टॉलेमी ने भी अपने ग्रन्थ में कन्नड़ का जिक्र किया है. फिर ये कैसे एक भद्दी भाषा हो गई?
कन्नड़ भाषियों के द्वारा किए गए भारी विरोध के बाद गूगल ने सर्च इंजन से इस तरह के जवाब को हटा लिया. इसके बाद माफी मांगते हुए एक सफाई भी दी है. गूगल ने कहा ”सर्च हमेशा परफेक्ट नहीं होती. इन्टरनेट पर जिस तरह से कोई कंटेंट परिभाषित किया जाता है किसी सवाल के उत्तर में उसी तरीके से रिजल्ट सामने आ सकता है. हम जानते हैं ये आइडियल नहीं है. लेकिन अगर हमें कोई शिकायत दर्ज कराई जाती है तो हम तुरंत उसे सही करते हैं. हम अपने अल्गोरिद्म को सही करने पर लगातार काम कर रहे हैं. जरूरी नहीं कि इस तरह के रिजल्ट गूगल के ओपिनियन को ही रिफ्लेक्ट करते हों. हम इस गलतफहमी और लोगों की भावनाएं आहत करने के लिए माफी मांगते हैं.