NEWSPR डेस्क। पटना षड्दर्शन विश्व अखाड़ा परिषद के साधु संतों ने बिहार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। साधु संत अब जातीय जनगणना, धार्मिक न्यास बोर्ड, मठ मंदिरों की जमीनों पर अवैध कब्जा के खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। सरकार को षड्दर्शन विश्व अखाड़ा परिषद के सदस्य महंथ योगी अखिलेश्वर दास और पटना महावीर मंदिर के महंथ महेंद्र दास ने एक महीने का अल्टीमेटम दिया है। संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान दोनों महंथों ने ये अल्टीमेटम दिया है कि अगर एक महीने के अंदर सरकार इनकी मांगों को पूरा नहीं करती है, तो सड़कों पर उतरकर राज्य के हजारों महंथ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
महंथ महेंद्र दास ने बताया कि बिहार राज्य हिन्दू धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन भले ही हिन्दू हैं, लेकिन उन्हें महंथ परंपरा के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्हें ये भी मालूम नहीं है कि विरक्त और गृहस्थ महंथों में क्या फर्क है। उनकी कार्यशैली हमेशा से संदेहास्पद रही है। बिहार सरकार अविलंब अखिलेश कुमार जैन को पदमुक्त करते हुए उनके द्वारा लीज की हुई मठ मंदिरों की जमीनों की पुनः निष्पक्ष जांच कराई जाए। उनके चलते पूरे राज्य के महंथ आज सड़कों पर आ गए हैं। कहीं जमीन हड़पी जा रही हैं, तो कहीं महंथों को मठों से भगाया जा रहा है।
योगी अखिलेश्वर दास ने साधु संतों के लिए बिहार में हो रही जातीय जनगणना में कोड बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि साधु संतों के लिए भी बिहार में एक जातीय कोड होनी चाहिए। जिससे उनकी पहचान हो सके। अब तक हमें बिहार सरकार उपेक्षित की है, जो सही नहीं है। हम महंथों की पहचान जन्म देने वालों से नहीं, बल्कि गुरु शिष्य परंपरा से होती है। ऐसे में विरक्त महंथ बचपन में ही घर-द्वार छोड़कर निकल जाते हैं। इसीलिए बिहार के साधु संतों के लिए जातीय कोड अति आवश्यक है।
महंथ महेंद्र दास ने पटना महावीर मंदिर के वर्तमान सचिव आचार्य किशोर कुणाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि किशोर कुणाल ने पटना महावीर मंदिर को प्राइवेट लिमिटेड बना लिया है। उनके समधी मंत्री अशोक चौधरी के कारण उनके खिलाफ अब तक जांच नहीं हो पा रही है। उन्होंने गुरु शिष्य की परंपरा को खत्म करते हुए पिता-पुत्र परंपरा की नई शुरुआत की है। यही नहीं पुत्र मोह में सायन कुणाल को पटना महावीर मंदिर की जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में हैं, जो सीधे तौर पर महंथ परंपरा के खिलाफ है। उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से मठ मंदिरों की जमीनों में हेराफेरी की है, वो मसला गंभीर है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।