30 साल से बंद था महिला का मुंह, मुश्किल सर्जरी से डॉक्टरों ने खोला

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR DESK- आस्था नामक महिला जन्मजात विकार से पीड़ित थी। उसके जबड़े की हड्डी मुंह के दोनों तरफ से खोपड़ी की हड्डी से जुड़ गई थी। उसके वजह से वह अपना मुंह नहीं खोल सकती थी। यहां तक की वह अपनी उंगली से अपनी जीभ को छू तक नहीं सकती थी। वह तरल पदार्थ पर जिन्दा थी।

मुंह न खुलने से उसके दांतों में संक्रमण के कारण कुछ ही दांत रह गए थे। एक आंख से देख भी नहीं सकती थी। सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि उसका पूरा चेहरा ट्यूमर की खून भरी नसों से भरा हुआ था। इसकी वजह से कोई भी अस्पताल सर्जरी के लिए तैयार नहीं था। परिवार भारत, यूनाइटेड किंगडम और दुबई के बड़े अस्पतालों में हो आया था। सभी ने सर्जरी के लिए मना कर दिया।

सर गंगागराम अस्पताल के सीनियर प्लास्टिक सर्जन ने बताया कि जब हमने मरीज को देखा तो परिवार को बताया कि सर्जरी बहुत ही जटिल है और अत्यधिक रक्तस्राव से ऑपरेशन टेबल पर मौत भी हो सकती है। हमने प्लास्टिक सर्जरी, वैस्कुलर सर्जरी एवं रेडियोलॉजी विभाग की टीम बुलाई और बहुत विचार विमर्श करने के बाद इस जटिल सर्जरी को अंजाम देने का फैसला किया। ऑपरेशन से तीन हफ्ते पहले मरीज के चेहरे पर एक खास इंजेक्शन (स्क्लेरोसैंट) लगाया गया, जिससे खून से भरी नसें थोड़ी बहुत सिकुड़ जाती हैं।

20 मार्च 2021 को मरीज को ऑपेरशन थिएटर ले जाया गया। सबसे पहले धीरे-धीरे ट्यूमर की नसों को बचाते हुए डॉक्टर मुंह के दाहिने हिस्से में पहुंचे जहां जबड़ा खोपड़ी से जुड़ गया था। फिर उसको काटकर अलग कर दिया गया। इसी तरह से बायें हिस्से में भी जुड़े हुए जबड़े को अलग किया। यहां जरा सी गलती से अगर ट्यूमर की नस कट जाती तो मरीज की ऑपरेशन थिएटर में ही मौत हो सकती थी।

साढ़े तीन घंटे चला ऑपरेशन

पूरी तरह से सफल ऑपरेशन में साढ़े तीन घंटे का समय लगा। ऑपरेशन टेबल पर मरीज का ढाई सेंटीमीटर मुंह खुल चुका था। 25 मार्च 2021 को आस्था की जब अस्पताल से छुट्टी दी गयी तो उसका मुंह तीन सेंटीमीटर खुल चुका था। एक सामान्य व्यक्ति का मुंह 4 से 6 सेंटीमीटर खुलता है। डॉ. राजीव आहूजा ने बताया कि अभी मुंह की फिजियोथेरेपी एवं व्यायाम से उसका मुंह और ज्यादा खुलेगा।

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