जानिये कैसे एक अंजान बुजुर्ग महिला बन गई थाने में सबकी मां

Patna Desk

NEWSPR /DESK : कौन कहता है कि रिश्ते निभाने के लिए खून का रिश्ता होना जरुरी है। इंसान अगर चाह ले तो बिना कोई रिश्ता होते हुए भी अपने दिल में लोगों का भगवान का दर्जा दे देता है। ऐसा ही कुछ हुआ है गुजरात के राजकोट शहर में जहां बिना खून के रिश्ते के ही एक पुलिस कर्मी और बूढी मां में, मां-बेटे जैसा रिश्ता है। करीब साढ़े 3 वर्ष पहले जो बुजुर्ग महिला किसी की शिकायत लेकर थाने पहुंची थी। उन्हें क्या पता था कि वही पुलिस चौकी के लोग एक दिन उसके इतने करीबी बन जायेंगे। ये कहानी है राजकोट शहर की वीनू बेन अढ़िया की। जिनके अपने अब थाने के लोग ही हैं। दरअसल तीन साल पहले राजकोट के मेहुलनगर की गली नम्बर-6 की वीनू बेन अपने मकान मालिक के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज करवाने भक्तिनगर पुलिस स्टेशन आयी थीं। PI विरलदान गढ़वी ने उनकी सारी समस्या सुनी और नम्रतापूर्वक मकान खाली ना कराने को कहा। उसी दिन से पीआई गढ़वी में और वीनू बेन के बीच मां और बेटे जैसा रिश्ता बन गया l


हर दिन आइसक्रीम खाने आती है मां
पुलिसकर्मियों ने बताया कि वे रोज़ाना दिन में दो बार पैदल ही पुलिस स्टेशन आती हैं। वे इतनी अधिक उम्र की हैं पर फिर भी पिछले साढ़े तीन वर्षों से बिना किसी साधन के अपने घर से पुलिस स्टेशन तक का सफ़र पैदल चलकर ही तय करती हैं। रोज पुलिस अधिकारियों से आइस्क्रीम लेकर खाती हैं, फिर उन्हें दुआएँ देकर जाती हैं। सभी पुलिसकर्मी इन बूढ़ी माताजी को बहुत प्यार से बिठाते हैं और उनकी हर तरह की मदद भी किया करते हैं।

2 साल पहले जब वीनू बेन की तबियत बिगड़ी थी,  तब पुलिस स्टेशन के सारे कर्मचारी उनकी सेवा कर रहे थे। इसलिए पुलिसकर्मियों को वीनू बेन अपना परिवार मानती हैं। 70 सालों से वीनू बेन और उनका परिवार राजकोट में रहता है। एक सिपाही ने बताया कि वे रोजाना पुलिस थाने में आकर दो-ढाई घंटे बैठती हैं।सभी पुलिसकर्मी उन्हें बड़े प्यार और सम्मान के साथ पास बिठाकर उनसे बातें करते हैं और उन्हें आइसक्रीम खाने को देते हैं। इसके अलावा पुलिसकर्मी वीनू बेन की बेटी और पोते से भी फ़ोन पर उनकी बात कराते हैं।

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