बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर उठे सियासी विवाद ने अब जोर पकड़ लिया है। कांग्रेस और राजद द्वारा चुनाव आयोग कार्यालय के घेराव के बाद अब राज्य सरकार ने तीखा पलटवार किया है। मंत्री अशोक चौधरी ने विपक्षी नेताओं खासकर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर कड़ा राजनीतिक हमला बोला है।
‘राहुल को बिहार की याद सिर्फ चुनाव में आती है’
मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि राहुल गांधी अगर वाकई बिहार की समस्याओं को लेकर गंभीर होते, तो उन्हें चुनाव के मौकों का इंतजार नहीं करना पड़ता। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी को गरीब, दलित और अल्पसंख्यक वोटर सिर्फ सत्ता के समीकरण में ही याद आते हैं।
“अपात्र मतदाताओं को ही सूची से हटाया जा रहा है”
चौधरी ने वोटर लिस्ट से नाम हटाने के आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग केवल उन्हीं नामों को सूची से बाहर कर रहा है, जो अपात्र हैं। उन्होंने कहा, “हम एक पारदर्शी प्रणाली के जरिए सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी योग्य मतदाता वंचित न रह जाए।”
‘पारदर्शिता से चिढ़ रहा है विपक्ष’
अशोक चौधरी ने कहा, “आज का ट्रांसपेरेंट सिस्टम उन लोगों को खल रहा है, जिन्होंने अतीत में भर्ती घोटाले और राजनीतिक सिफारिशों से व्यवस्था को कमजोर किया। पहले टेलीफोन पर नियुक्तियाँ होती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं चलता।”
उन्होंने दावा किया कि भविष्य में ऑनलाइन वोटिंग जैसी तकनीक अपनाने की तैयारी चल रही है, जिससे व्यवस्था और पारदर्शी होगी।
“हम भी दलितों और अल्पसंख्यकों के वोट से जीतते हैं”
चौधरी ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “हमारे भी वोटर उसी वर्ग से आते हैं, लेकिन हमें इस प्रक्रिया से कोई आपत्ति नहीं, क्योंकि हमने फर्जीवाड़ा नहीं किया।”
सियासी टकराव और तेज़ होने के आसार
इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मतदाता सूची सुधार का मुद्दा अब राजनीतिक टकराव का केंद्र बनता जा रहा है। एक ओर विपक्ष इसे सत्ताधारी पक्ष की साजिश बता रहा है, तो दूसरी ओर सरकार इसे लोकतंत्र को मजबूत करने की पहल करार दे रही है।