ढाई दशक पुराना सोन नदी जल विवाद सुलझा, बिहार को मिलेगा तीन गुना अधिक पानी

Jyoti Sinha

सालों से चले आ रहे बिहार और झारखंड के बीच सोन नदी के पानी के बंटवारे को लेकर चला आ रहा विवाद आखिरकार खत्म हो गया है। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की हालिया बैठक में दोनों राज्यों के बीच समझौता हो गया, जिसके तहत बिहार को झारखंड की तुलना में तीन गुना अधिक पानी मिलेगा। यह ऐतिहासिक समझौता रांची में हुआ, जहां बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। इस बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी भी उपस्थित थे।

लंबे समय से अटका था विवाद

यह विवाद 2000 में झारखंड के गठन के बाद से चला आ रहा था। पहले, 1973 के त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार सोन नदी का पानी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच बांटा गया था। तब झारखंड बिहार का ही हिस्सा था, और बिहार को 7.75 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी का अधिकार मिला था। झारखंड राज्य बनने के बाद उसने इस जल में हिस्सेदारी की मांग शुरू की थी, जिसे अब मान लिया गया है।

नया जल बंटवारा

ताजा समझौते के अनुसार:

  • बिहार को 5.75 MAF
  • झारखंड को 2.00 MAF
    पानी आवंटित किया गया है।

इससे न केवल दोनों राज्यों के बीच विवाद खत्म हुआ है, बल्कि जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की भी राह खुली है।

बिहार को मिलेगा बड़ा लाभ

इस समझौते से शाहाबाद और भोजपुर क्षेत्र के जिलों जैसे औरंगाबाद, रोहतास (सासाराम), बक्सर और आरा में सिंचाई व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। सोन नदी के पानी का सुव्यवस्थित उपयोग इन क्षेत्रों की कृषि उत्पादकता को बढ़ा सकता है।

वहीं, झारखंड को भी अब अपनी हिस्सेदारी का पानी मिलने से वहां की सिंचाई और जल प्रबंधन योजनाओं को बल मिलेगा।

अब नहीं रहेगा जल विवाद

यह समझौता केवल पानी के वितरण का मामला नहीं है, बल्कि यह राज्यीय संबंधों को मजबूत करने और जनहित में दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। अब दोनों राज्य अपनी योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू कर सकेंगे, जिससे आम जनता को सीधा लाभ पहुंचेगा।

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