पटना: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की पटना बेंच ने कानून की अनदेखी पर कड़ा रुख अपनाते हुए एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। न्यायाधिकरण ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि निदेशक को 25 जुलाई को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से हाजिर किया जाए। यह आदेश न्यायिक सदस्य राजवीर सिंह वर्मा और प्रशासनिक सदस्य कुमार राजेश चंद्रा की खंडपीठ ने डॉ. नेहा सिंह की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।
डॉ. नेहा सिंह वर्तमान में ब्लड ट्रांसफ्यूजन अफसर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया है कि एम्स प्रशासन ने उन्हें सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया से जानबूझकर बाहर कर दिया, जबकि न्यायाधिकरण ने उन्हें इंटरव्यू में शामिल होने की अनुमति दी थी।
गौरतलब है कि न्यायाधिकरण द्वारा पूर्व में एम्स प्रशासन को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद 28 मई को कार्यकारी निदेशक को 11 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया गया, जिसे निदेशक ने पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी। हालांकि हाईकोर्ट ने एम्स की याचिका को खारिज करते हुए कैट के आदेश को बरकरार रखा।
एम्स प्रशासन के आदेश की अवहेलना को गंभीर मानते हुए अब कैट ने गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है। डॉ. नेहा के अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद एम्स प्रशासन ने इंटरव्यू से उन्हें वंचित रखा, जिससे मजबूर होकर अवमानना याचिका दाखिल की गई।
यह मामला अब सिर्फ एक आदेश के उल्लंघन का नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था की गरिमा और संस्थागत जिम्मेदारी की परीक्षा बन चुका है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि एम्स प्रशासन इस कानूनी सख्ती का जवाब कैसे देता है।