गंगा नदी पर मोकामा के औंटा से सिमरिया तक बने छह लेन पुल का उद्घाटन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस पुल के शुरू होते ही उत्तर और दक्षिण बिहार की दूरी करीब 100 किलोमीटर तक घट जाएगी। पटना से बेगूसराय जैसे जिलों का सफर जहां पहले लंबा होता था, अब महज डेढ़ से दो घंटे में पूरा किया जा सकेगा।यह पुल देश का पहला छह लेन एक्सपैंशन केबल तकनीक से तैयार हुआ पुल है। 34 मीटर चौड़ा यह पुल भारत के अन्य छह लेन पुलों से ज्यादा चौड़ा है, जबकि आम तौर पर इनकी चौड़ाई 29.5 मीटर होती है। 1.86 किलोमीटर लंबा यह पुल कुल 8.150 किलोमीटर लंबे एप्रोच रोड से जुड़ा है। इसके निर्माण पर 1871 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।पुल राजेंद्र सेतु के समानांतर बनाया गया है, जो दशकों से उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने का अहम जरिया रहा है।
सिमरिया धाम से जुड़ा यह इलाका कवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि भी है।इस प्रोजेक्ट को हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (HAM) पर बनाया गया है, जिसमें 60 प्रतिशत लागत निर्माण एजेंसी वहन करती है और 40 प्रतिशत राशि सरकार देती है। बाद में एजेंसी टोल टैक्स से अपनी लागत वसूल करेगी।प्रधानमंत्री मोदी इस मौके पर बिहार को एक और बड़ी सौग़ात देंगे—बुद्ध सर्किट एक्सप्रेस ट्रेन। यह ट्रेन वैशाली से शुरू होकर नालंदा, राजगीर, गया होते हुए झारखंड के कोडरमा तक जाएगी और बुद्ध से जुड़े प्रमुख स्थलों को जोड़ेगी।बता दें कि 2005 तक गंगा नदी पर केवल चार बड़े पुल थे, लेकिन अब पुलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में 14 नए पुल बन चुके हैं और 9 पुलों का काम तेज़ी से चल रहा है। इनमें पटना का कच्ची दरगाह-बिदुपुर 6 लेन पुल, दीघवारा-शेरपुर पुल और विक्रमशीला के समानांतर नया पुल प्रमुख हैं।गंगा पर इस नए छह लेन पुल के बन जाने से न सिर्फ उत्तर और दक्षिण बिहार करीब आएंगे, बल्कि झारखंड, बंगाल और असम से संपर्क भी आसान होगा। यह पुल बिहार की आधारभूत संरचना को नई दिशा देने वाला साबित होगा।