वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर का 63 वर्ष की आयु में निधन

Jyoti Sinha

भारतीय पत्रकारिता जगत को गहरा आघात पहुँचा है। वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और समाज-राजनीति के पैनी नज़र रखने वाले संकर्षण ठाकुर अब हमारे बीच नहीं रहे। 63 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी से जूझने के बाद उनका निधन हो गया। उनके जाने से पत्रकारिता ने एक ऐसे निर्भीक और खोजी स्वर को खो दिया है, जिसने हमेशा सत्ता से सवाल करने का साहस दिखाया।

पत्रकारिता का लंबा और महत्वपूर्ण सफर
1962 में पटना में जन्मे संकर्षण ठाकुर ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई सेंट जेवियर्स स्कूल, पटना और दिल्ली से की। 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक करने के बाद उन्होंने 1984 में ‘संडे’ पत्रिका से पत्रकारिता में कदम रखा। इसके बाद वे द टेलीग्राफ और इंडियन एक्सप्रेस जैसे प्रमुख अख़बारों से जुड़े। इंडियन एक्सप्रेस में एसोसिएट एडिटर रहे और 2009 में तहलका के कार्यकारी संपादक का दायित्व संभालने के बाद फिर से द टेलीग्राफ लौटे। अंतिम दिनों तक वे यहाँ रोविंग एडिटर की भूमिका में सक्रिय रहे।

गहन और धारदार रिपोर्टिंग
उनकी पत्रकारिता सिर्फ घटनाओं को दर्ज करने तक सीमित नहीं रही, बल्कि उनके पीछे की राजनीति और समाजशास्त्र को भी पाठकों के सामने रखने की कोशिश रही। कश्मीर, बिहार, उत्तर प्रदेश, पाकिस्तान और पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की जटिल राजनीतिक परिस्थितियों और सामाजिक संघर्षों पर उन्होंने सटीक और गहन रिपोर्टिंग की।

लेखन और किताबों के जरिए प्रभाव
संकर्षण ठाकुर की कलम ने उन्हें पत्रकारिता से आगे एक लेखक के रूप में भी विशिष्ट पहचान दिलाई। उनकी चर्चित कृतियों में सबाल्टर्न साहेब (लालू प्रसाद यादव की जीवनी) और द ब्रदर्स बिहारी (लालू-नीतीश की राजनीति पर आधारित) विशेष रूप से सराही गईं। इसके अलावा The Kargil: From Surprise to Victory और Single Man: The Life and Times of Nitish Kumar of Bihar जैसी पुस्तकें भी उनकी लेखनी का प्रमाण हैं।

हाशिये की आवाज़ों के पैरोकार
उन्होंने उन विषयों पर भी लिखा, जिन पर अक्सर मुख्यधारा मीडिया चुप्पी साध लेती है—जातीय हिंसा, ऑनर किलिंग और वंचित समाज की समस्याएँ। इन संवेदनशील मुद्दों पर उनकी लेखनी ने पाठकों को सोचने पर मजबूर किया।

पत्रकारिता में एक युग का अंत
संकर्षण ठाकुर का जाना भारतीय पत्रकारिता के लिए एक बड़ी क्षति है। वे हमेशा अपनी निर्भीक रिपोर्टिंग, गहन विश्लेषण और बेबाक सवालों के लिए याद किए जाएंगे। उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियाँ भी सम्मान के साथ याद करेंगी।

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