NEWS PR DEEK- सशक्त किसान, जुड़ी बस्तियां और मजबूत आधारभूत ढांचा — यही है बदलते बिहार का ग्रामीण विकास मॉडल
33,821 किमी सड़कों, 24,289 संपर्क मार्गों और 540 करोड़ की लागत से बन रहे आधुनिक कृषि बाजारों ने बदली ग्रामीण बिहार की तस्वीर
बिहार में विकास की गति अब गांव-गांव और खेत-खेत तक महसूस की जा सकती है। हाल के वर्षों में राज्य सरकार ने जिस स्पष्ट दृष्टि के साथ कृषि और ग्रामीण आधारभूत ढांचे को सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, उसका परिणाम आज धीरे-धीरे सामने आ रहा है। ग्रामीण रोजगार, किसान हित और बुनियादी संरचना—इन तीन स्तंभों पर आधारित यह रणनीति बिहार को नये युग की ओर बढ़ा रही है।
कृषि बाजार प्रांगण का आधुनिकीकरण
किसानों की आय बढ़ाने और कृषि व्यवस्था को सरल बनाने के लिए अब कृषि बाजार प्रांगण आधुनिक रूप में विकसित किए जा रहे हैं। पहले चरण में 540 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से नौ महत्वपूर्ण बाजार प्रांगण—सासाराम, बेगूसराय, कटिहार, फारबिसगंज, जहानाबाद, दरभंगा, किशनगंज, छपरा और बिहटा को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा। इससे किसानों को न केवल अपनी उपज बेचने में सहजता होगी, बल्कि उचित मूल्य सुनिश्चित करने और कृषि व्यापार को नए आयाम देने का अवसर भी मिलेगा।
ये बाजार ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए नयी ऊर्जा का काम करेंगे। गांवों से आने वाले किसान अब अपने उत्पादों को बेहतर ढंग से प्रदर्शित और बेच पाएंगे। भंडारण, तौल और परिवहन जैसी सुविधाओं से उनके श्रम का वाजिब मूल्य मिलेगा और कृषि आधुनिकीकरण का सपना भी साकार होगा।
बिहार में मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत बनने वाली ग्रामीण सड़कों की संख्या और उनकी कुल लंबाई जिलानुसार इस प्रकार है:
• मधुबनी: 2040 सड़कों का लक्ष्य, 1561 सड़कों का निर्माण पूरा, कुल लंबाई 2220.16 किमी
• मुजफ्फरपुर: 1827 सड़कों का लक्ष्य, 1620 सड़कों का निर्माण पूरा, कुल लंबाई 2342.08 किमी
• पूर्वी चंपारण: 1720 सड़कों का लक्ष्य, 1255 सड़कों का निर्माण पूरा, कुल लंबाई 1937.18 किमी
• सारण: 1349 सड़कों का लक्ष्य, 1202 सड़कों का निर्माण पूरा, कुल लंबाई 1445.99 किमी
• दरभंगा: 1075 सड़कों का निर्माण पूरा, कुल लंबाई 1413.13 किमी
• अररिया: 1099 सड़कों का निर्माण पूरा, कुल लंबाई 2136.95 किमी
• पूर्णिया: 1041 सड़कों का निर्माण पूरा, कुल लंबाई 1716 किमी
• कटिहार: 1250 सड़कों का निर्माण पूरा, कुल लंबाई 1517 किमी
• गया: 720 सड़कों का निर्माण पूरा, कुल लंबाई 849.36 किमी
इस प्रकार कुल 24,289 ग्रामीण सड़कों का निर्माण हो चुका है, जिनकी कुल लंबाई लगभग 33,821 किलोमीटर है, और राज्य में ग्रामीण सड़कों के निर्माण का लक्ष्य 31,590 सड़कों का है। साथ ही 165 छोटे-बड़े पुल भी बने हैं, जो ग्रामीण संपर्क को और मजबूत कर रहे हैं।
ग्राम संपर्क योजना: गांवों तक विकास की रफ्तार
इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह उन बसावटों और टोलों को सड़क परिवहन से जोड़ रही है जो प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में शामिल नहीं थे। परिणामस्वरूप, राज्य के 28 हजार से अधिक गांव आज बारहमासी सड़क सुविधा से जुड़े हैं।
यह केवल सड़कों का निर्माण नहीं है, बल्कि ग्रामीण जीवन में नई सुविधाओं का संचार है। स्वास्थ्य सेवाओं तक तेज पहुंच, बच्चों की शिक्षा के लिए बेहतर मार्ग और कृषि उत्पादों की बाजार तक सुरक्षित ढुलाई—इन सबने ग्रामीण जीवन की चुनौतियों को काफी हद तक कम कर दिया है।
जिलों में अभूतपूर्व कामयाबी
मधुबनी, मुजफ्फरपुर और पूर्वी चंपारण जैसे जिले इस योजना के अग्रणी उदाहरण हैं। हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलने वाले मधुबनी में अब हजारों गांव पक्की सड़कों से जुड़े हैं। पूर्वी चंपारण और सारण जैसे जिलों में भी ग्रामीण संपर्क का परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है।
बिहार का बदलता हुआ चेहरा
आज बिहार की पहचान केवल चुनौतियों से जूझते राज्य की नहीं है, बल्कि एक ऐसे प्रदेश की बनी है जो अपनी क्षमता, श्रम और सरकारी नीति के मेल से खुद को एक आदर्श विकास मॉडल की ओर ले जा रहा है।
कृषि प्रांगण का आधुनिकीकरण किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगा, जबकि ग्राम संपर्क योजना राज्य की ग्रामीण रीढ़ को मजबूत कर रही है। जब किसान को बाजार मिलेगा और गांव को सड़क—तो विकास की धारा स्वाभाविक रूप से गांव-गांव तक पहुंचेगी। यही नई तस्वीर है बिहार की: जहां किसान सशक्त है, गांव सक्षम हैं और राज्य समृद्धि की ओर बढ़ रहा है।