पटना। बिहार में चल रहे विधानसभा चुनाव 2025 ने इस बार इतिहास रच दिया है। राज्यभर के सभी जिलों में मतदान प्रतिशत ने पिछले सभी चुनावी रिकॉर्ड तोड़ दिए, खासकर सीमांचल और मगध क्षेत्रों में मतदाताओं का उत्साह चरम पर नजर आया। सीमांचल के जिलों में इस बार औसतन 15 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ है, जो यह दर्शाता है कि जनता अपने मताधिकार के प्रति पहले से कहीं ज्यादा जागरूक और सक्रिय हुई है।
सीमांचल में दिखा अभूतपूर्व जोश
किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जैसे जिलों में इस बार मतदान केंद्रों पर असाधारण भीड़ देखने को मिली। महिलाएं और युवा वोटर बड़ी संख्या में लाइन में खड़े होकर लोकतंत्र के इस पर्व में शामिल हुए।
- कटिहार में रिकॉर्ड 78.63%,
- किशनगंज में 78.06%,
- पूर्णिया में 76.04%,
- और अररिया में 69.68% मतदान दर्ज किया गया — जो अब तक का सर्वाधिक है।
कुछ जगहों पर मतदान बहिष्कार और विवाद
कटिहार के कसबा विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी समुदाय ने “रोड नहीं तो वोट नहीं” के नारे के साथ मतदान का बहिष्कार किया, हालांकि प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद दोपहर में मतदान शुरू हो गया। अररिया जिले में कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच मामूली झड़पें हुईं और कुछ केंद्रों पर ईवीएम खराबी की शिकायतें भी मिलीं, लेकिन कुल मिलाकर मतदान शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित रहा।
मगध प्रमंडल में भी बढ़ा वोट प्रतिशत
सीमांचल की तरह मगध क्षेत्र के जिलों — पटना, नालंदा, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, नवादा और शेखपुरा — में भी इस बार 7 से 10 प्रतिशत तक अधिक मतदान दर्ज हुआ। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें लगी रहीं, जिनमें महिलाओं का उत्साह सबसे अधिक देखने को मिला।
दूसरे चरण के मतदान का जिलेवार प्रतिशत
| जिला | मतदान प्रतिशत |
|---|---|
| पश्चिम चंपारण | 70.79% |
| पूर्वी चंपारण | 71.17% |
| शिवहर | 68.74% |
| सीतामढ़ी | 66.91% |
| मधुबनी | 63.27% |
| सुपौल | 72.50% |
| अररिया | 69.68% |
| किशनगंज | 78.06% |
| पूर्णिया | 76.04% |
| कटिहार | 78.63% |
| भागलपुर | 67.46% |
| बांका | 70.25% |
| कैमूर (भभुआ) | 68.04% |
| रोहतास | 61.89% |
| अरवल | 63.82% |
| जहानाबाद | 65.33% |
| औरंगाबाद | 65.39% |
| गया | 68.65% |
| नवादा | 57.85% |
| जमुई | 69.66% |
पिछली बार महागठबंधन का दबदबा
2020 के विधानसभा चुनाव में मगध क्षेत्र में महागठबंधन को बढ़त मिली थी। इस इलाके की 49 सीटों में से 30 पर महागठबंधन ने जीत दर्ज की थी, जबकि एनडीए को 19 सीटें मिली थीं। औरंगाबाद में एनडीए का खाता तक नहीं खुला था।
गया जिले की 10 में से 6 सीटें एनडीए और 4 सीटें महागठबंधन के पास थीं, जबकि नालंदा में एनडीए को बढ़त मिली थी। पटना जिले की 14 सीटों में 9 पर महागठबंधन और 5 पर एनडीए का कब्जा रहा था।
इस बार के रिकॉर्ड मतदान से स्पष्ट है कि बिहार की जनता बदलाव और लोकतंत्र के प्रति पहले से अधिक प्रतिबद्ध है। अब सबकी नजरें चुनावी नतीजों पर हैं, जो तय करेंगे कि इस जन उत्सव का असली विजेता कौन होगा।