NEWSPR DESK- बिहार में अप्रैल 2020 से लागू शराबबंदी के बावजूद यहां शराब पीने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 10 लाख अभी भी शराबी हैं। इन शराबी में 55 हजार महिलाएं भी शामिल हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से भारत में पदार्थ के उपयोग का विस्तार और प्रतिमान पर आधारित राष्ट्रीय सर्वे में ये खुलासा हुआ है।
नशे की लत की वजह से मानव तस्करी और चोरी जैसे अपराधों में वृद्धि
मंत्री ने कहा कि इस एक्शन प्लान से न केवल नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित और जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करेगी, बल्कि इन नशीली दवाओं पर निर्भर व्यक्तियों की पहचान और उनकी परामर्श पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। इसके अलावा, सेवा प्रदाताओं को भी परामर्श दिया जाना चाहिए और आजीविका के वैकल्पिक स्रोत प्रदान किए जाने चाहिए।मंत्री मदन साहनी ने कहा कि- युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकेला जा रहा है।
इसके अलावा मादक पदार्थों की लत किसी विशेष आर्थिक वर्ग के लिए नहीं रही है। यहां तक कि अच्छे और गरीब परिवारों तक को भी इसमें धकेला जा रहा है। नशे की लत की वजह से मानव तस्करी और चोरी जैसे अपराधों में वृद्धि का भी एक कारण है। उन्होंने कहा कि मैंने एक ऐसे ड्रग एडिक्ट को जाना है जो उस समय हताश हुआ करता था जब उसे नशीली दवा नहीं मिलती थी तो वह मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए अस्पतालों में सप्लाई की जाने वाली स्पिरिट का सेवन नशे के तौर पर करता था।
नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत
वहीं समाज कल्याण विभाग सामाजिक सुरक्षा निदेशक दयानिधन पांडे ने कहा कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने की कार्य योजना मादक पदार्थों की मांग में कमी पर केंद्रित है। और यह तकनीकी फोरम, गैर सरकारी संगठन, ट्रस्ट, अस्पताल और पुलिस जैसे विभिन्न सरकारी और गैरसरकारी एजेंसियों और संगठनों की मदद से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति और मांग से ड्रग्स की मांग प्रभावित होती है। नशीली दवाओं की आपूर्ति पर पुलिस और नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की सख्ती से अंकुश लगाया जा सकता है लेकिन विभिन्न सामाजिक सरकारी और गैरसरकारी ग्रुप्स और परामर्शदाता ड्रग्स की मांग को रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
सामाजिक सुरक्षा निदेशक ने कहा कि राज्य और देश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर यह रिपोर्ट 2019 में जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब हमारे देशवासियों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम पदार्थ है। देश में लगभग 16 करोड़ लोग शराब का सेवन करते हैं, जबकि 3.1 करोड़ लोग भांग और 2.26 करोड़ अफीम का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में शराब और अन्य नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा बहुत अधिक है। कहा कि राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।
बिहार में राष्ट्रीय सर्वेक्षण में आए कुछ फैक्ट
बिहार में शराबियों की संख्या: 10 लाख
बिहार में शराब एडिक्ट महिलाएं: 55,000 से अधिक
बिहार में भांग एडिक्ट: 11 लाख
बिहार में अफीम एडिक्ट व्यक्ति: 1 लाख
बिहार में नशे के एडिक्ट: 1.3 लाख