NEWSPR डेस्क। भोजपुरी सिंगर नेहा सिंह राठौर अपने गानों की वजह से काफ़ी चर्चा में रहती हैं. ‘बिहार में का बा’ और कोरोना, लॉकडाउन पर लिखे उनके गाने दर्शकों को काफ़ी भाते हैं. अब नेहा एक बार फिर नया गीत लेकर आईं हैं। जो राजनीतिक व्यंग्य से भरे लोक गीतों के लिए जानी जातीं हैं। इस गीत के बोल में किसी का नाम नहीं है, सबकुछ इशारों में ही है, लेकिन स्पष्ट है। अपने गीत में वे कहतीं हैं- ”राजा बरहौ मास घूमेले बिदेसवा, बिकसवा ना जनमले हो…।” इंटरनेट मीडिया में वायरल हो चुके इस गीत के बोल बिलकुल स्पष्ट हैं। इसे नेहा ने गाया तो है हीं, लेकिन लिखा भी खुद ही है।
नेहा के गीत के बोल एक विवाहिता के संतान न हो पाने के दर्द के आसपास घूमते हुए जबरदस्त राजनीतिक तंज कसते हैं। अपने गीत में नेहा सिंह राठौर एक महिला के ‘विकास’ नाम की संतान की इच्छा पाने के दर्द को बयां करते हुए जबरदस्त कटाक्ष करतीं हैं। कहतीं हैं कि साल 2014 में शादी हुई, 2019 में गौना हुआ। शादी के छह साल बीत गए, लेकिन ‘विकसवा’ (संतान) नहीं हुआ। इसका कारण बताते हुए वे कहतीं हैं कि राजाजी (पति) जनवरी में जापान तो फरवरी में जर्मनी जाते हैं। वे सालोंभर विदेश घूमते रहते हैं। ऐसे में ‘बिकसवा’ का जन्म कैसे हो?
अपने गीत में वे और स्पष्ट होते हुए कहतीं हैं कि ‘विकसवा’ का जन्म नहीं होने पर बिहार, बंगाल, केरल व असम के डॉक्टरों से दिखाया, व उत्तर प्रदेश में ओझा से भी दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पति कभी धूनी रमा लेते हैं तो कभी जोगी या फकीर बन जाते हैं। वे आगे कहतीं हैं कि विवाहिता की उम्र 16 साल है तो पति 70 साल के हैं। ऐसे में ‘विकसवा’ का जन्म कैसे हो।
पटना से स्वप्निल सोनल की रिपोर्ट