NEWSPR डेस्क। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में स्वास्थ्य व्यवस्था इन दिनों वेंटिलेटर पर चल रहा है। दीपनगर इलाके के डुमरावाँ गाँव का यह हाल है। बता देंकि इस गाँव में करोड़ों रूपये खर्च करके स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया। ताकि इस गांव और आसपास के लोग यहां बेहतर इलाज करा सकें। मगर बेहतर इलाज के बजाय अस्पताल कैंपस, परिसर में गांव के ही लोग जानवर बांध देते हैं।
हद तो तब हो गई जब मरीज के ईलाज के लिए रूम में बेड लगाने की जगह जानवर का चारा रखा जाता है। गाँव के लोग बताते है की अस्पताल तो आज से 6 वर्ष पहले बना दिया गया मगर अभी तक उद्घाटन भी नहीं हुआ और भवन पूरी तरह जार्जर हो गया। जब-जब चुनाव आता है, तो इस विधानसभा के विधायक और सरकार में मंत्री श्रावण कुमार आते हैं और वादा करके चले जाते हैं।
जब जीत हो जाती है तो एक बार भी नजर देने नहीं आते है। ग्रामीणों की मानें तो यहां सिर्फ बुखार, सिर दर्द का ही दवा उपलब्ध है। अस्पताल में डॉक्टर की तैनाती है मगर आते नहीं है। एएनएम नर्स ही ईलाज और दवा देते हैं। एएनएम नर्स का कहना है कि इस अस्पताल में ईलाज किया जाता है। बुखार और दर्द का दवा भी उपलब्ध है। परेशानी है कि बाथरूम बना हुआ नहीं है। मरीज के लिए एक भी बेड नहीं है। जहाँ बेड लगाना था वहां गाँव के ही जानवर बांध देते है और जानवर का चरा रखते हैं। जिससे परेशानी होती है…गाँव के महिलाओं का कहना है यहाँ का दवा से बीमारी ठीक नहीं होता है तो प्राइवेट हॉस्पिटल जाते है।
ऋषिकेश संवाददाता नालंदा